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जीतन राम मांझी बोले- ‘नीतीश कुमार को CM नहीं PM कहिए’, तेजस्वी यादव के बारे में की यह भविष्यवाणी

Bihar Politics: पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने एक कार्यक्रम में खुले मंच से कहा कि बिहार के अगले प्रधानमंत्री नीतीश कुमार (nitish kumar) बनेंगे. जबकि सूबे के अगले सीएम तेजस्वी यादव (tejashwi yadav) होंगे. मांझी के इस बयान के बाद बिहार में सियासत का तापमान फिर से बढ़ गया है.

Bihar Politics: बिहार में सत्ता से बेदखल होने के बाद बीजेपी-जदयू और राजद के बीच सियासी वार-पलटवार जारी है. वजह है 2024 का लोकसभा चुनाव और 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव. इन सब के बीच बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने देश के अगले पीएम पद और बिहार के सीएम पद को लेकर बड़ा बयान दिया है. जीतन राम मांझी ने बीते दिनों एक कार्यक्रम में खुले मंच से कहा कि बिहार के अगले प्रधानमंत्री नीतीश कुमार बनेंगे. जबकि सूबे के अगले सीएम तेजस्वी यादव होंगे. मांझी के इस बयान के बाद बिहार में सियासत का तापमान फिर से बढ़ गया है.

‘नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं प्रधानमंत्री कहिए’

दरअसल बीते दिनों बिहार के गया में रबर डैम के उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में सीएम नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, मंत्री संजय झा, मंत्री अशोक चौधरी, जीतन राम मंझी समेत कई नेता पहुंचे हुए थे. इसी दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं कहिए, अब प्रधानमंत्री ही कहिए तो ज्यादा अच्छा लगेगा. उन्होंने राजनीतिक भविष्यवाणी करते हुए कहा कि सीएम नीतीश कुमार तो अब प्रधानमंत्री बनने वाले हैं. बिहार तेजस्वी यादव संभालेंगे. मांझी ने तेजस्वी को बिहार का भावी सीएम बोलकर भी संबोधित किया. जीतन राम मांझी के इस बयान पर मंच पर बैठे सभी नेता हंसते हुए नजर आए.

जीतन राम मांझी के बायन पर बीजेपी ने साधा निशाना

वहीं, जीतन राम मांझी के बायन पर बिहार बीजेपी ने महागठबंधन की सरकार पर निशाना साधा है. बीजेपी ने कहा कि बिहार कि जनता त्रस्त है. जबकि सरकार में बैठे लोग प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का कुर्सी खेल का प्लान बना रहे हैं. बता दें कि पटनाः मिशन 2024 (Mission 2024) की लहर सबसे अधिक बिहार में दिख रही है. वजह यह है कि हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली दौरे से लौटकर भी आए हैं.

सियासी चक्रव्यूह को कैसे भेदेगी बीजेपी

गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की जोड़ी की लहर में एनडीए और सहयोगी दलों ने 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी. जिसमें बीजेपी को 17, जेडीयू को 16 और एलजेपी को 6 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. वहीं, राजद पार्टी का खाता तक नहीं खुल सका था. लेकिन अब जब बिहार में सियासी हालात बदल चुकें है, तो लालू-नीतीश की जोड़ी को चुनौती पेश करना बीजेपी के लिए कतई आसान नहीं होगा.

2014 के लोकसभा के चुनावी आंकड़ो पर एक नजर

राजनीतिक जानकारों की मानें तो विधानसभा और लोकसभा चुनाव का मुद्दा बिलकुल अलग होता है. इसका नजारा 2014 के लोकसभा चुनाव में दिखा था. जब नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन से अलग होकर चुनावी मैदान में उतरे थे. उस दौरान 40 सीटों में 22 सीटें अकेले बीजेपी को मिली थी. वहीं, 6 सीटें सहयोगी दल राम विलास पासवान के एलजेपी को मिली थी. एक और सहयोगी दल आरएलएसपी ने यहां से 3 सीटें जीती थीं. यानी एनडीए को कुल 31 सीटें हासिल हुई थीं. वहीं जेडीयू को 2, कांग्रेस को 2, लालू यादव के आरजेडी को 4 और एनसीपी को 1 सीट मिली थी.

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