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Jehanabad : लगातार हो रहे बालू खनन से अरवल से दूर हो रही सोन नदी

जिले से होकर बहने वाली सोन नदी में जल संकट की स्थिति उत्पन्न गययी है. लगातार हो रहे बालू खनन के कारण सोन नदी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है.

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अरवल. जिले से होकर बहने वाली सोन नदी में जल संकट की स्थिति उत्पन्न गययी है. लगातार हो रहे बालू खनन के कारण सोन नदी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. सोन नदी का मुख्य धारा भोजपुर जिले के सीमा में धीरे-धीरे जा रहा है. और अरवल जिला सोन नदी जल विहीन हो गया है. सिर्फ दिखाने के लिए सोन नदी बच जायेगा और सारा सोन नदी का धारा अरवल जिला से दूर बहने लगा है. अरवल जिले के जीवनदायिनी सोन नदी अब सूखने के कगार पर है. कुछ साल पहले इस नदी में सालों भर पवित्र जलधारा बहता रहता था. दूर-दूर से लोग इस नदी में पुण्य स्नान करने आते थे. नदी से अवैध बालू खनन होने के कारण इसका जलस्तर कम हो गया ह. और सुंदरता भी घट गयी है. इस नदी के पेटी में कुछ लोग खेती भी करने लगे हैं तथा नदी के अंदर बालू खनन के कारण तालाब ही तालाब नजर आता है. अरवल से करीब दो किलोमीटर तक नदी पूरी तरह सूख चुकी है. स्थानीय किसानों ने बताया कि नदी के सूखने पर हम लोगों को नदी के पेटी में करीब 50 एकड़ में खेती करते हैं. इसमें गेहूं, मसूर, सरसों की खेती होती है. नदियों का सूखना दुर्भाग्यपूर्ण : पर्यावरणविद प्रो प्रणव पाठक ने कहा कि नदियों का सुखना दुर्भाग्यपूर्ण है. इस क्षेत्र से सोन नदी का सूखने का मतलब आने वाले दिनों में जिलेवासियों को भारी जल संकट का सामना करना पड़ेगा. आज पर्यावरण से छेड़छाड़ के कारण बारिश में कमी होने लगी है. अवैध बालू खनन से नदी में गड्ढे बनने लगे इससे पानी जलधारा दूसरी तरफ चली गयी है. जो खतरनाक साबित होगी पर्व व अनुष्ठान करने वाले लोगों को भी होती है परेशानी : सोन नदी की जलधारा शहर से दो किलोमीटर से अधिक दूर होने के कारण छठ पर्व करने वाले श्रद्धालुओं को काफी कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है. वही मकर संक्रांति, मेष सक्रांति, अन्य पर्व त्योहार में नदी स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी होती है. अंत्येष्टी करने जाना पड़ता है दो किलोमीटर दूर : नदी की जलधारा दूर जाने के कारण इलाके के लोगों को शव जलाने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दो किलोमिटर नदी के बालू में पैदल चलकर मुख्यधारा में जाकर दाह संस्कार करने में बहुत परेशानी होती है. सोन नदी का पाट 35 से 40 किलोमीटर में फैला है. सोन नदी के किनारे लगभग दर्जनों गांव बसे हुए है. जिसमें मैनपुरा, सोहसा, चंदा, मसदपुर, कमता, भगवानपुर, खरसा, बाथे, पशुरामपुर, मिर्जा विगहा, बहादुरपुर, रामपुर वैना, मुरादपुर हुजरा, पुरानी अरवल, मलहीपटटी, जनकपुर धाम, अहियापुर, मदन सिह के टोला, दुना छपरा सहित दर्जनों गांव के लोग सोन नदी के अस्तित्व खतरा में देखकर चिंतित हैं.

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