रतनी
. सदर प्रखंड के गोनवां पंचायत अंतर्गत शहबाजपुर गांव में शिव मंदिर प्राणप्रतिष्ठा को लेकर हो रहे यज्ञ में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. दूर दराज से कथा सुनने के लिए लोग पहुंच रहे हैं जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय बना हुआ है. वैदिक मंत्र उच्चारण व हवन से पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा है. इस दौरान तरेत पाली मठ के मठाधीश स्वामी सुदर्शनाचार्य उर्फ सुमीरन जी महाराज के मुख से निकल रहे अमृतवाणी को श्रद्धालु ग्रहण कर रहे हैं. उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि भगवान की भक्ति ही जीव का एकमात्र सहारा है.
इस मृत्यु लोक में जो भी प्राणी जन्म लेता है, उसकी मृत्यु तय है, बावजूद लोग इस माया के जाल में फंसकर ना जाने कितने पाप के भागी बन जाते हैं, जब इसका एहसास होता है तब तक यहां से जाने का समय निश्चित हो जाता है, इसलिए हमेशा प्रभु का भजन करते रहना चाहिए ताकि मनुष्य अपना जीवन धन कर सके. उन्होंने हिरण्यकश्यप व प्रहलाद की कथा को सुनाते हुए कहा कि हिरण्यकश्यप बहुत बड़ा दैत्य था जो पूरे धरती पर अपना आतंक मचाए हुए था, उसी का पुत्र प्रहलाद जो की नारायण का भक्त था हमेशा वह भक्ति में लीन रहता था. नारायण की भक्ति में लीन रहने के कारण हिरण्यकश्यप हमेशा क्रोधित रहता था और कई बार प्रहलाद को मारने का प्रयास भी किया लेकिन भगवान की ऐसी कृपा रही कि हर बार प्रहलाद बचता गया अंततः एक दिन हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र से कहा की तुम्हारा भगवान कहां है तब प्रह्लाद ने बताया कि मेरा भगवान हर जगह है तब उसने कहा कि क्या इस खंभे में भी तुम्हारा भगवान है जिस पर प्रह्लाद ने कहा कि इस खंभे में भी मेरा भगवान है, इस पर उसने कहा कि अगर भगवान है तो उनको बुलाओ प्रहलाद जैसे ही भक्ति में लीन हुआ श्री हरि विष्णु नरसिंह अवतार लेकर प्रहलाद के सामने प्रकट हो गए और उस महा दैत्य हिरण्यकश्यप को मौत के घाट उतार दिए. इधर यज्ञ की सफलता को लेकर ग्रामीणों ने भी काफी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.
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