कलेर. पहलेजा में चल रहे साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा एवं ज्ञान यज्ञ के दौरान महामंडलेश्वर स्वामी कृष्ण प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कथा पीठ से प्रवचन करते हुए कहा कि पूजा के उपरांत जो दक्षिणा दी जाती है, वह कर्म का मूल्य होती है, जबकि दान बिना किसी अपेक्षा के दिया जाता है. उन्होंने कहा कि अहिंसा परम धर्म है और क्षमा सबसे बड़ा धर्म है. मानव को आपसी क्षमा और अहिंसा में विश्वास रखना चाहिए, जिससे समाज में कल्याण संभव है. भारतीय संस्कृति का सार यही है कि व्यक्ति अहंकार त्यागकर विनम्र बने. उन्होंने माताओं से बच्चों के प्रति सकारात्मक व्यवहार की अपील की और कहा कि माता का आचरण ही बच्चे के संस्कारों की नींव रखता है. पारिवारिक जीवन में मिठास और स्नेह बनाये रखने पर ही संतुलित समाज का निर्माण संभव है. स्वामी जी ने पहलेजा स्थित राधा-कृष्ण मंदिर की भव्यता की सराहना करते हुए उसे अत्यंत प्रभावशाली बताया.
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