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गुरु पूर्णिमा पर शिष्यों ने किया गुरु का वंदन,सरगम संगीत महाविद्यालय में हुआ गुरुपूजन

हुलासगंज, सरौती, मुरहारी, उचिटा, बभना व कतरासीन के मठ-मंदिरों में अनुयायियों का लगा जमावड़ा जहानाबाद : गुरु पूर्णिमा पर गुरु को नमन की परंपरा लंबे समय से रही है. अब देश-दुनिया में यह पर्व की तरह मनाया जा रहा है. आध्यात्मिक गुरु के वंदन की परंपरा पूर्व से रही है. गुरु पूर्णिमा के दिन उनके […]

हुलासगंज, सरौती, मुरहारी, उचिटा, बभना व कतरासीन के मठ-मंदिरों में अनुयायियों का लगा जमावड़ा

जहानाबाद : गुरु पूर्णिमा पर गुरु को नमन की परंपरा लंबे समय से रही है. अब देश-दुनिया में यह पर्व की तरह मनाया जा रहा है. आध्यात्मिक गुरु के वंदन की परंपरा पूर्व से रही है. गुरु पूर्णिमा के दिन उनके शिष्य वंदन करना नहीं भुलते. जिले के कई प्रमुख धार्मिक स्थलों पर इस पावन दिवस के दिन शिष्यों का जुटान होता है,
जो अपने आराध्य देव समान गुरु का आशीर्वाद व स्नेह लेने उनके नजदीक पहुंचते हैं. श्रद्धेय गुरु की चरणों में नत मस्तक होकर उनकी अच्छाइयों को ग्रहण करने का संकल्प लेते हैं. आज के दिन जिले के प्रमुख मठ-मंदिरों में उल्लास व आनंद की अनुभूति देखने को मिलती है, जहां गुरु भाई एक-दूसरे से मिलते हैं. प्रमुख रूप से हुलासगंज, सरौती, मुरहारी, उचिटा, बभना व कतरासीन समेत कई मठ-मंदिरों में विराजमान गुरु का आशीष लेने पहुंचे शिष्यों में गुरु पूर्णिमा की उत्सवी झलक देखने को मिली.
ऐसे तो गुरु-शिष्य की इस परंपरा को धर्माचार्य समेत स्कूल, कॉलेज व ट्यूशन पढ़ाने वाले गुरु के शिष्य भी निभाते रहे हैं. शहर के सरगम संगीत महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन होता आ रहा है. मौके पर सभी शिष्यों ने अपने संगीत गुरु का पूजन कर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम में गुड्डू शर्मा, रंजीत मिश्रा, सनोज, सुनैना, पंकज मिश्र, झुन्नु राजा, मिथलेश सिंह, हरेंद्र समेत सैकड़ों शिष्य-शिष्याओं ने गुरु पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया. जिले के हुलासगंज स्थित श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में में हर वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन की परंपरा जीवंत हो उठती है. गुरु पूर्णिमा पर दूरदराज से पहुंचे शिष्य अपने गुरु पूज्य स्वामी रंगरामानुजाचार्य जी महाराज का पूजन कर आशीर्वाद लेने को लालायित रहते हैं. प्रथम पूजन अंनत श्री विनुषित पूज्य पाद स्वामी पशंकुशाचार्य जी महाराज की प्रतिमा का पूजन करने के उपरांत वर्तमान गुरु की पूजा की गयी. मौके पर शिष्यों को संबोधित करते हुए स्वामी रंगरामानुजाचार्य ने कहा कि गुरु पूर्णिमा से उस महापुरुष का स्मरण होता है, जो उन्होंने जगत कल्याण के लिए पंचम वेद के रूप में एक लाख श्लोक से परिपूर्ण महाभारत का निर्माण किया. इस तिथि को अपने गुरु का पूजन करते हैं. उन्होंने कहा आचार्य के बिना कोई भी व्यक्ति ब्रह्म तत्व को नहीं प्राप्त कर सकता है, क्योंकि ब्रह्म तत्व का ज्ञान आचार्य से ही होता है.

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