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प्रशासन की उपेक्षा से ग्रामीणों ने खुद की सड़क की मरम्मत

सरकार तंत्र की उपेक्षा और उदासीनता से तंग आकर ग्रामीण खुद सड़क मरम्मत में लग गये. मामला प्रखंड अंतर्गत दहियारी पंचायत के असनातरीगांव का है.

सोनो . सरकार तंत्र की उपेक्षा और उदासीनता से तंग आकर ग्रामीण खुद सड़क मरम्मत में लग गये. मामला प्रखंड अंतर्गत दहियारी पंचायत के असनातरीगांव का है. पक्की सड़क से लगभग सवा दो किलोमीटर दूर असनातरी संथाल टोला तक की बदहाल कच्ची सड़क का निर्माण मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना के तहत होना था. बिहार राज्य ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी ने ग्रामीण कार्य विभाग झाझा द्वारा इस सड़क के निर्माण के लिए सभी प्रक्रिया पूरी कर ली थी. दो करोड़ 14 लाख 25 हजार 724 रुपये की लागत से बनने वाले इस सड़क के निर्माण का कार्यारंभ बीते 12 सितंबर से प्रारंभ कर अगले वर्ष सितंबर में पूर्ण करना था. इसको लेकर सड़क किनारे विभागीय बोर्ड भी लग गए परंतु तीन माह बीतने के बाद भी सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ. ग्रामीणों के लंबे जद्दोजहद के बाद सरकार ने अंततः यहां सड़क निर्माण के लिए अपनी चुप्पी तोड़ा था. महीनों गुजर जाने के बाद भी जब निर्माण कार्य की शुरुआत भी नहीं हुआ तब ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे दिया. ग्रामीणों ने अपने गांव जाने वाले एक मात्र बदहाल और टूटे कच्ची सड़क की मरम्मत खुद से करने का फैसला किया. आदिवासी समुदाय के इस गांव के पुरुष व महिलाओं ने कुदाल और फावड़ा उठाया और लगभग 2200 मीटर सड़क की मरम्मती करने में लग गये.

उपेक्षित रहा है असनातरी गांव

दहियारी पंचायत का यह गांव असनातरी शुरू से ही उपेक्षित रहा है. इस गांव के निवासी और पूर्व वार्ड सदस्य विनोद सोरेन, ग्रामीण तालो मरांडी, संजू मरांडी, किरण मुर्मू, बाबूलाल मरांडी ने बताया कि गांव में कोई सरकारी भवन नहीं है. स्कूल नहीं रहने से बच्चे पहाड़ को पार कर स्कूल जाते है. मरीज को अस्पताल ले जाना भी परेशानी भरा हो गया है. गांव को पक्की सड़क भी नसीब नहीं है. एक मात्र कच्ची सड़क है जगह जगह टूट गई है. बरसात के दिनों में इस बदहाल सड़क पर आवागमन दुश्वार हो जाता है. स्कूल, अस्पताल और बाजार तक पहुंचना यहां के लोगों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होता है. ग्रामीणों के द्वारा बारंबार सड़क की मांग के बाद सरकारी स्तर पर सड़क निर्माण की घोषणा और कागजी प्रक्रिया तो हुई पर काम धरातल पर नहीं उतरा. सड़क निर्माण को लेकर बोर्ड भी लगा जिस पर कार्यारंभ की तिथि 12 सितंबर 2025 और एक वर्ष में कार्य पूर्ण करने की बात दर्ज की गई लेकिन आधा दिसंबर बीत जाने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू न होते देख लोगों का सब्र टूट गया और उन्होंने श्रमदान के जरिए खुद ही सड़क की मरम्मत में लग गए.

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