जमुई. जिलेभर के मंदिरों व घरों में रविवार को कलश स्थापना के साथ ही चैती नवरात्र की शुरुआत हो जायेगी. इस दौरान श्रद्धालु नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना करेंगे इसके लिए मंदिर से घरों तक पूजा की तैयारी लगभग पूरी हो गयी है. शहर के बोधवन तालाब स्थित श्रीश्री 108 चैती वैष्णवी दुर्गा मंदिर के पुरोहित नारायण पंडित ने बताया कि चैत्र मास की नवरात्रि रविवार 30 मार्च से शुरू होकर 06 अप्रैल तक रहेगी. इस बार की नवरात्रि में तिथियों की घट बढ़ है. इस वर्ष दूसरा और तीसरा नवरात्रि एक ही दिन है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष मां का आगमन हाथी पर और विदाई भैंसे पर है. नारायण पंडित ने बताया कि ज़ब-जब मां का आगमन हाथी पर होता है तो ये देश दुनिया के लिए आर्थिक रूप से बहुत शुभ माना जाता है. ज़ब-ज़ब मां का प्रस्थान भैंसे पर होता है तो देश में रोग और शोक बढ़ता है. पहले दिन श्रद्धालु सूर्योदय के साथ ही नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ करेंगे. इस साल माता का आगमन नौका और प्रस्थान डोली पर होगा. घट स्थापना का शुभ मुहूर्त नवरात्रि में घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:12 से सुबह 10:20 तक. इस दौरान घट स्थापना करने से स्थिर सुख, समृद्धि और धन लाभ मिलने के योग हैं और अगर इस समय में ना कर सके तो दिन के 11:55 से दोपहर 12:45 तक अभिजित मुहूर्त है. इस मुहूर्त में भी श्रद्धालु घट स्थापना कर सकते हैं. चैत नवरात्र को लेकर मंदिरों में विशेष तैयारी रविवार से शुरू होने वाले चैत्र नवरात्र को लेकर जिलेभर में तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. सभी देवी मंदिरों में साज सज्जा व विद्युत रोशनी की तैयारी पूरी कर ली गयी है. भक्त बाजारों से नारियल, चुनरी, मिट्टी के बर्तन व माता रानी के शृंगार का समान खरीदते नजर आये. नवरात्र के पहले दिन हिंदू नववर्ष विक्रम नव संवत्सर का भी शुभारंभ होगा. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है, इन नौ दिनों में पवित्रता और शुद्धि का विशेष ध्यान रखा जाता है. पूजा में साधकों और व्रत रखने वालों के लिए कुछ नियम होते हैं, जिन्हें उनका ध्यान अवश्य रखना चाहिए. शैलपुत्री की पूजा से शुरू होगा नवरात्रि का व्रत नवरात्रि में भी इस बार नौ दिनों तक नवदुर्गा के नौ रूपों की पूजा होगी. पुरोहित नारायण पंडित ने बताया कि पहले दिन आदिशक्ति मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप देवी शैलपुत्री की पूजा-अर्चना, घटस्थापना व दुर्गा सप्तशती के पाठ से प्रारंभ होगा. इस दौरान साधक नौ दिनों तक अनुष्ठान में लीन रहेंगे.
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