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नववर्ष पर आस्था व पर्यटन का संगम बना पतनेश्वर धाम

जिले के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शुमार बरहट प्रखंड अंतर्गत किऊल नदी के तट पर स्थित पतनेश्वर धाम नववर्ष के अवसर पर आस्था, श्रद्धा और पर्यटन का अनूठा संगम बनकर उभरा है.

-नए साल के स्वागत में उमड़ता है श्रद्धालुओं का सैलाब, धार्मिक विश्वास के साथ प्राकृतिक सौंदर्य का भी लेते है आनंदबरहट. जिले के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शुमार बरहट प्रखंड अंतर्गत किऊल नदी के तट पर स्थित पतनेश्वर धाम नववर्ष के अवसर पर आस्था, श्रद्धा और पर्यटन का अनूठा संगम बनकर उभरा है. नये साल के आगमन के साथ ही यहां श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है. दूर-दराज के इलाकों से आये भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य का भी आनंद उठाते है.

पहाड़ की चोटी पर विराजमान आस्था का केंद्र

पतनेश्वर पहाड़ की चोटी पर स्थित यह प्राचीन मंदिर धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. यहां भगवान शिव और माता पार्वती के साथ सूर्य देव, मां दुर्गा, प्रभु श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, बजरंगबली और काल भैरव के भव्य मंदिर स्थापित हैं. ऊंचाई से किऊल नदी का मनोरम दृश्य श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है.

नववर्ष पर लगती है श्रद्धालुओं की लंबी कतार

मंदिर के पुजारियों के अनुसार, नववर्ष के दिन अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. भक्त किऊल नदी में स्नान कर भगवान शिव के कामना लिंग पर जलाभिषेक करते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं. जमुई जिले के अलावा लखीसराय, मुंगेर, शेखपुरा, नवादा समेत कई जिलों से हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.

नेताओं ने भी टेका मत्था

पतनेश्वर धाम अब केवल जमुई ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार में आस्था का बड़ा केंद्र बन चुका है. शारीरिक कष्ट निवारण, संतान प्राप्ति और रोग मुक्ति के लिए यह स्थल विशेष रूप से प्रसिद्ध है. इसी आस्था के चलते कई प्रमुख जनप्रतिनिधि भी यहां पूजा-अर्चना के लिए पहुंच चुके हैं. विधानसभा अध्यक्ष प्रेम कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और बिहार सरकार की खेल मंत्री श्रेयसी सिंह ने विधानसभा चुनाव के नामांकन से पूर्व यहां पूजा की थी. इसके अलावा पूर्व मंत्री सुमित कुमार सिंह, झाझा विधायक दामोदर रावत समेत कई अन्य जनप्रतिनिधि भी इस पवित्र स्थल पर शीश नवाने पहुंचे हैं.

कुष्ठ रोग मुक्ति और पुत्र प्राप्ति की मान्यता

मुख्य पुजारी के अनुसार, मंदिर में स्थापित कामना लिंग अत्यंत चमत्कारी है. मान्यता है कि किऊल नदी में स्नान कर श्रद्धा के साथ जलाभिषेक करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. विशेष रूप से पुत्र प्राप्ति और कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए यह मंदिर प्रसिद्ध है. इसी विश्वास के कारण प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं.

पर्यटन केंद्र के रूप में हो रहा विकासऐतिहासिक पतनेश्वर धाम को पर्यटन मानचित्र पर और मजबूत करने की दिशा में बिहार स्टेट टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा लगभग 8 करोड़ 53 लाख रुपये की लागत से विकास कार्य कराया जा रहा है. परियोजना के तहत गेस्ट हाउस, नदी घाट, सीढ़ियों का निर्माण, मुख्य द्वार और अन्य आधारभूत सुविधाओं का कार्य तेजी से जारी है. इससे आने वाले समय में श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी.

कहते हैं मुख्य पुजारी

मंदिर के मुख्य पुजारी राजीव कुमार पांडेय ने बताया कि पतनेश्वर धाम की महिमा अपरंपार है. यहां प्रतिदिन शिवभक्तों का आगमन होता है. सच्चे मन से भगवान शिव पर जलाभिषेक करने से भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं, यही कारण है कि यहां लोगों की आस्था दिन-ब-दिन और मजबूत होती जा रही है.

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