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17 हजार करोड़ से डीडीयू जंक्शन-झाझा के बीच बनेगी तीसरी-चौथी रेल लाइन

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से झाझा के बीच अब रेलवे का ढांचा और सुदृढ़ होने जा रहा है.

झाझा . पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से झाझा के बीच अब रेलवे का ढांचा और सुदृढ़ होने जा रहा है. पूर्व मध्य रेल ने इस महत्वपूर्ण रेलखंड पर तीसरी और चौथी लाइन बिछाने की प्रक्रिया तेज कर दी है. लगभग 400 किलोमीटर लंबी इस परियोजना पर करीब 17 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. जानकारी देते हुए हाजीपुर ज़ोन के मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी सरस्वती चंद्र ने बताया कि रेलवे बोर्ड से परियोजना को प्रशासनिक स्वीकृति मिल गयी है. अगले कुछ महीनों में चरणबद्ध तरीके से निर्माण कार्य शुरू कर दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि नयी लाइनों के निर्माण से जहां यात्री ट्रेनों का परिचालन सुगम होगा, वहीं मालगाड़ियों की आवाजाही भी अधिक सरल और तेज़ होगी. इससे औद्योगिकीकरण को नई गति मिलेगी और विकसित बिहार का सपना साकार होगा. सीपीआरओ ने बताया कि प्रथम चरण में बख्तियारपुर–फतुहा (24 किमी) के लिए 931 करोड़ रुपये और बख्तियारपुर–पुनारख (30 किमी) के लिए 392 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिल गयी है. बख्तियारपुर–पुनारख खंड के लिए निविदा प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जायेगी, जिसके बाद भूमि अधिग्रहण और निर्माण का कार्य शुरू हो जायेगा. पुनारख–किऊल खंड के लिए 2,514 करोड़ रुपये और किऊल–झाझा खंड के लिए 903 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रक्रिया अंतिम चरण में है. अन्य खंडों पर भी कार्य अनुमोदन की प्रक्रिया जारी है.

परियोजना को कई हिस्सों में बांटा गया

निर्माण कार्य को चरणबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए पूरे रेलखंड को छोटे हिस्सों में बांटा गया है पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन–दानापुर,दानापुर–फतुहा,फतुहा–बख्तियारपुर,बख्तियारपुर–पुनारख,पुनारख–किऊल

तथा किऊल–झाझा.

पटना क्षेत्र में जगह की कमी, स्टेबलिंग लाइनें हटेंगी

पटना के आसपास जगह की कमी को देखते हुए दानापुर–पटना के बीच दो स्टेबलिंग लाइनों को हटाकर उनकी जगह तीसरी और चौथी लाइन बनायी जायेगी. वहीं पटना–पटना सिटी खंड में एक रिवर्सेबल लाइन का निर्माण किया जाएगा, जिससे अप और डाउन दोनों दिशाओं में उपयोग हो सकेगा.

रेल क्षमता बढ़ेगी, समय पालन सुधरेगा

बताया गया कि दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन–झाझा रेल लाइन का निर्माण 1860–70 के दशक में हुआ था. बाद में इसका दोहरीकरण किया गया, लेकिन बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकीकरण के साथ ट्रैकों पर दबाव लगातार बढ़ता गया. फलस्वरूप समयपालन और ट्रैक रखरखाव में कठिनाइयां आने लगीं. नयी तीसरी और चौथी लाइन बनने से न केवल मालगाड़ियों का सुचारू संचालन संभव होगा, बल्कि यात्री ट्रेनों का परिचालन भी बेहतर होगा. भविष्य में अधिक ट्रेनों को चलाने का मार्ग भी प्रशस्त होगा. रेल कनेक्टिविटी में सुधार से उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और पूर्व मध्य रेल का नेटवर्क और मजबूत होगा.

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