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जमीन पर दो कमरों में चल रहा सरकारी स्कूल

बरहट प्रखंड की कटौना पंचायत स्थित राजकीय बुनियादी विद्यालय बिचला टोला कटौना आज भी बदहाली की स्थिति से गुजर रहा है.

बरहट . बरहट प्रखंड की कटौना पंचायत स्थित राजकीय बुनियादी विद्यालय बिचला टोला कटौना आज भी बदहाली की स्थिति से गुजर रहा है. यह स्कूल महज दो जर्जर कमरों में संचालित हो रहा है. विद्यालय की हालत देखकर साफ प्रतीत होता है कि सरकारी योजनाएं केवल फाइलों और कागजों तक सीमित रह गयी हैं. कक्षा 1 से 8 तक कुल 93 बच्चे नामांकित हैं. बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए प्रधानाध्यापिका समेत दो शिक्षक और एक शिक्षिका पदस्थापित हैं. इसके बावजूद संसाधनों के अभाव में पढ़ाई प्रभावित है. जब बच्चों की संख्या अधिक होती है तो कक्षाओं के अभाव में बरामदे में बैठाकर पढ़ाई कराई जाती है. विडंबना यह कि नये भवन निर्माण के लिए टेंडर तो जारी हो चुका है. लेकिन निर्माण कार्य आज तक शुरू नहीं हो सका.

संवेदक की लापरवाही, बच्चों का भविष्य दांव पर

विद्यालय के प्रधानाध्यापक कुमोद कुमार झा ने बताया कि पहले विद्यालय में चार कमरे थे. नये भवन निर्माण के नाम पर संवेदक ने पुराने भवन को तोड़ दिया. सात महीने बीत चुके हैं. भूमि पूजन भी हो चुका है. लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ. नतीजतन बच्चे आज भी जर्जर और असुरक्षित कमरों में पढ़ने को मजबूर हैं.

मिली-जुली कक्षाएं, न पढ़ाई समझ में आती है न शिक्षक सहज

कमरों की भारी कमी के कारण कक्षाएं मिली-जुली चल रही हैं. कक्षा 1,2 एक साथ, कक्षा 3,4,5 एक साथ कक्षा 6,7 एक साथ. केवल कक्षा आठ अलग चलती है. इस अव्यवस्था में न बच्चों को पढ़ाई समझ में आती है और न शिक्षक प्रभावी ढंग से पढ़ा पाते हैं. छात्राएं बताती हैं कि एक साथ कई कक्षाएं पढ़ने से पढ़ाई समझ में नहीं आती. अगर भवन बन जाता तो पढ़ाई आसान होती.

विषयवार शिक्षकों का घोर अभाव

बच्चों में पढ़ने की ललक है. यही वजह है कि उपस्थिति नियमित रहती है. लेकिन विद्यालय में भूगोल, हिंदी, संस्कृत और सामाजिक विज्ञान जैसे प्रमुख विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं. विषयवार शिक्षकों की कमी ने बच्चों की शिक्षा को गहरी चोट पहुंचाई है.

एमडीएम व्यवस्था भी बदहाल

सरकार बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए मध्याह्न भोजन योजना चला रही है, लेकिन इस विद्यालय में इसकी हालत भी चिंताजनक है. विभाग ने गैस कनेक्शन तो दे दिया, लेकिन रसोई घर जर्जर है. छत की अल्बेस्टर शीट टूटी हुई बरसात में पानी टपकता है. रसोई घर में रोशनी नहीं है. गैस सिलेंडर में रिफिल नही कराने से मजबूरी में लकड़ी पर खाना पकाया जाता है.अव ऐसे में देखना होगा की क्या जिला शिक्षा पदाधिकारी इस बदहाली पर संज्ञान लेंगे,या फिर बच्चों का भविष्य यूं ही फाइलों के नीचे दबा रह जाएगा.

कहते हैं जिला शिक्षा पदाधिकारी

जिला शिक्षा पदाधिकारी दया शंकर ने बताया कि विद्यालय के प्रभारी ने अब तक इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है. मामले की जांच कर बच्चों के हित में आवश्यक और उचित कदम उठाए जाएंगे.

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