झाझा: भारतीय किशोर व युवा वर्ग अत्याधुनिक की दौड़ में फेसबुक का दीवाना बनते जा रहे हैं. फेसबुक के उपयोग में थोड़ी सी असावधानी से कड़ी से कड़ी सजा हो सकती है. इस बाबत जमुई जिला विधिक संघ के उपाध्यक्ष अधिवक्ता कैलाश अडुकियां, राजेंद्र मंडल समेत कई अधिवक्ताओं ने बताया कि धारा 66 ए को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया है. बावजूद इसके सोशल साइटों पर कुछ भी टिप्पणी करने से पहले सावधान रहने की जरूरत है.
गाली देने पर तीन माह की सजा
अधिवक्ताओं ने बताया कि फेसबुक, वाट्सएप या इंटरनेट पर यदि कोई व्यक्ति किसी को आपत्तिजनक या ईल बातें करता हो या गाली देता हो तो उसके खिलाफ धारा 294 के तहत मामला किया जा सकता है. जिसमें दोषी पाये जाने पर कम से कम तीन महीने की सजा का प्रावधान है.
फर्जी एकाउंट पर तीन वर्ष तक की सजा : किसी अन्य व्यक्ति के नाम से एकाउंट बनाना और उसके फोटो का इस्तेमाल कानूनी तौर पर गलत है. ऐसा करने पर आइटी एक्ट की धाना 66 सी के तहत तीन वर्ष तक की सजा हो सकती है. दूसरे के एकाउंट से भी छेड़छाड़ करने पर भी कड़ी सजा हो सकती है.
धार्मिक भावनाएं भड़काना
फेसबुक, ट्वीटर जैसे सोशल साइटों पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले व्यक्ति के खिलाफ 295 ए के तहत मामला दर्ज हो सकता है तथा दोषी पाये जाने पर तीन साल की कैद हो सकती है.
सम्मान को ठेस पहुंचाना
फेसबुक पर किसी के सम्मान को आघात पहुंचाने वाली टिप्पणी करने पर आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत शिकायत दर्ज हो सकती है एवं दोष सिद्ध होने पर दो साल की जेल हो सकती है.
अफवाह फैलाने व देश के खिलाफ टिप्पणी करने पर उम्र कैद
गृह युद्ध का अफवाह फैलाना अथवा भावनाएं भड़काने पर धारा 505 का प्रावधान है. साथ ही देश के खिलाफ एकता,संप्रभुता या अखंडता के खिलाफ टिप्पणी की तो धारा 124 ए के तहत मुकदमा दर्ज हो सकता है तथा उम्र कैद की सजा हो सकती है.
बरतें सावधानियां
आम तौर पर व्यक्ति किसी भी टिप्पणी पर बिना सोचे-समङो या जल्दीबाजी में कमेंट्स करना हानिकारक हो सकता है. किसी भी कमेंट्स को अच्छे से पढ़ कर और सोच-समझ कर पोस्ट करें. ताकि मुश्किलों का सामना करना न पड़े.
