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चार डॉक्टर व 17 कर्मियों पर 82 गांवों के लाखों लोगों के इलाज की जिम्मेदारी

नित्यानंद सिंह, लक्ष्मीपुर : कहने को तो स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी को लेकर सरकार प्रतिवर्ष एक बड़ा बजट खर्च करती है, पर उसके बावजूद भी प्रखंड क्षेत्र का इकलौता अस्पताल अपने उद्धारक की बाट जोह रहा है. आलम यह हो गया है कि प्रखंड क्षेत्र के 13 पंचायत के 82 गांव के लाखों लोगों का […]

नित्यानंद सिंह, लक्ष्मीपुर : कहने को तो स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी को लेकर सरकार प्रतिवर्ष एक बड़ा बजट खर्च करती है, पर उसके बावजूद भी प्रखंड क्षेत्र का इकलौता अस्पताल अपने उद्धारक की बाट जोह रहा है.

आलम यह हो गया है कि प्रखंड क्षेत्र के 13 पंचायत के 82 गांव के लाखों लोगों का एक मात्र अस्पताल मैनपावर की कमी से जूझ रहा है. स्थिति यह हो गयी है कि अस्पताल में चिकित्सक, कंपाउंडर, नर्स, ड्राइवर सहित अन्य सभी पदों को मिलाकर महज 21 कर्मियों की ही तैनाती किया गया है.
जानकारी के अनुसार नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर सरकार के द्वारा कई वर्ष पूर्व रेफरल अस्पताल की स्थापना किया गया. नाम के मुताबिक अस्पताल में डॉक्टर, कंपाउंडर, ड्रेसर, फार्मासिस्ट, पुरुष महिला हेल्पर, रात्रि प्रहरी, सफाई कर्मी, माली, सहायक सहित अन्य कई पद का सृजन भी किया गया.
अस्पताल में ऑक्सीजन, एक्सरे सहित कई मशीन लगाने की बात भी कही गयी. लेकिन वर्तमान में कंपाउंडर, ड्रेसर, रात्रि प्रहरी सहित कई अन्य पद रिक्त हैं. अस्पताल में ऑक्सीजन तो है. लेकिन कभी-कभार ही लोगों की सुविधा के लिए काम में आता है. अस्पताल में ब्लड बैंक नहीं है. एक्सरे मशीन तो है लेकिन यह हाथी का दांत बनकर रह गया है. वर्तमान में हॉस्पिटल की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रहा है.
लोगों की माने तो प्रतिनियुक्त अधिकारी एवं कर्मी को विभाग के द्वारा कभी प्रशिक्षण तो कभी जिला मुख्यालय किसी अन्य कार्य के लिए बुला लिया जाता है. जिससे लोग भगवान भरोसे जीने को विवश हैं. लोगों ने बताया कि अस्पताल में मारपीट या घायल अवस्था में आये लोगों को प्राथमिक चिकित्सा के लिए भी सदर अस्पताल जमुई जाना पड़ रहा है.
दूरी होने के कारण कभी कभार रोगी की अकाल मौत भी हो जाती है. लोगों ने बताया कि अस्पताल की व्यवस्था सुधार करने को लेकर वरीय पदाधिकारी से शिकायत भी किया गया है. लेकिन रिक्त पदों पर बहाली नहीं हो पाई है. लोगों ने जिला प्रशासन से अस्पताल की दयनीय अवस्था में सुधार करने का मांग भी किया है.
लोगों ने बताया की सरकार आम जन के बेहतर स्वास्थ्य को लेकर पारिवारिक लाभ योजना, बंध्याकरण, नसबंदी, जनसंख्या नियंत्रण सहित कई अन्य लाभकारी योजना का संचालन बीते कई वर्षों से कर रही है. लेकिन जब संचालन के लिए जिम्मेदार अधिकारी या कर्मी ही ना हो तो इसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़ा होना लाजमी है.
कहते हैं सिविल सर्जन
इस बाबत पूछे जाने पर सिविल सर्जन डॉ श्याम मोहन दास ने बताया कि अस्पताल में चिकित्सक सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी की कमी को लेकर विभाग को लिखा गया है. उन्होंने बताया कि विभाग के निर्देशानुसार ही रिक्त पदों पर बहाली किया जा सकता है.

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