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Indian Railways / Train News : रेलवे में बढ़ रहा है आधी आबादी का दबदबा, बोधगया रूट पर अधिकतर मालगाड़ियों की कमान महिलाओं के हाथ में

गया रेलवे स्टेशन से गुजरनेवाली अधिकतर मालगाड़ियों की कमान महिलाओं के हाथों में है. लगभग आठ से अधिक महिलाएं लोको पायलट व 10 से अधिक महिलाएं मालगाड़ियों में गार्ड का काम रही हैं.

रोहित कुमार सिंह, गया. खुद के पैरों पर खड़ा होकर बेहतर जिंदगी जीने का ख्वाब अब न केवल युवाओं में ही है, बल्कि युवतियों में खूब तेजी से पनप रहा है. खास बात यह है कि दूसरे की बदौलत नहीं, अपने दम पर ही बेहतर जीवन जीने के लिए हर कठिन परिस्थितियाें को महिलाएं चुनौती दे रही हैं.

चाहे वह चुनौती घरेलू हो, सामाजिक हो या फिर अन्य सभी बाधाओं को वह अपनी प्रतिभा की बदौलत साइड लाइन कर दे रही हैं. वह अपने पैरों पर मजबूती से खड़ी होकर न केवल बेहतर जिंदगी जी रही हैं, बल्कि बेहतर तरीके से अपने परिवार का भरण-पोषण भी कर रही हैं. कुछ ऐसी महिलाएं हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत के बदौलत रेलवे में जॉब प्राप्त की हैं.

यह कहानी गया रेलवे स्टेशन की है. गया रेलवे स्टेशन से गुजरनेवाली अधिकतर मालगाड़ियों की कमान महिलाओं के हाथों में है. लगभग आठ से अधिक महिलाएं लोको पायलट व 10 से अधिक महिलाएं मालगाड़ियों में गार्ड का काम रही हैं. यहीं नहीं, रिजर्वेशन काउंटर, पूछताछ कार्यालय, आरआरआइ कार्यालय, पीए ऑफिस, स्टेशन मास्टर कार्यालय सहित अन्य कार्यालयों में महिलाएं तैनात हैं.

रेलवे के हर कार्यालयों में दो-चार महिलाएं हैं तैनात

इस संबंध में डीसीएम मोहम्मद इकबाल ने बताया कि रेलवे के रिजर्वेशन काउंटर, पूछताछ कार्यालय, आरआरआइ कार्यालय, पीए ऑफिस, स्टेशन मास्टर कार्यालय, आरपीएफ थाना, रेल थाना, टीटीइ निरीक्षक कार्यालय सहित अन्य रेलवे के कार्यालयों में महिलाओं के द्वारा काम किया जा रहा है. ये सभी महिलाएं खुद मेहनत कर परीक्षा देने के बाद नौकरी प्राप्त की हैं. रेलवे के कई कार्यालय आधी आबादी के बदौलत चलाये जा रहे हैं.

पांच अगस्त 2018 में महिलाएं चलायी थीं मालगाड़ी

गया रेलवे स्टेशन पर पांच अगस्त 2018 में महिलाओं ने पहली बार मालगाड़ी का परिचालन शुरू किया था. इसके बाद धीरे-धीरे हर कार्यालयों में महिलाओं द्वारा काम लेना शुरू किया गया. अब देखा जाता है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय मंडल के अंतर्गत आनेवाली सभी रेलवे स्टेशनों पर महिलाएं काम कर रही हैं.

बचपन से ट्रेन चलाने का देखा था सपना

मालगाड़ी की महिला पायलट व गार्ड ने बताया कि बचपन से ही ट्रेन चलाने का सपना देखा और सपने को हकीकत में बदलने के लिए कठिन मेहनत की. 2007 में मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की. इसके बाद की पढ़ाई जमालपुर व पटना वीमेंस कॉलेज में हुई. 2015 में लोको पायलट की परीक्षा उत्तीर्ण हुई. लक्ष्य के प्रति अगर ईमानदारी से प्रयास किया जाये, तो सफलता जरूर मिलती है.

मालगाड़ी की गार्ड पायल रानी, गीता कुमारी, खुशबू कुमारी, खुशबू कुमारी टू, ज्योति कुमारी, ज्योतिका कुमारी, संध्या ज्योशाना, रूचिका, सुधा कुमारी व गौतमी पूजा सहित अन्य गार्ड व पायलट ने बताया कि पढ़ाई करने के बाद रेलवे की तैयारी में जुट गयी थी. आज मेहनत की बदौलत सरकारी नौकरी प्राप्त कर अपने हाथों में एक जिम्मेदारी उठायी हूं. 2016 से ही अपने पैरों पर खड़ा होकर रेलवे का काम कर रही हूं.

Posted by Ashish Jha

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