हाजीपुर. बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीति अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. कुछ ऐसा ही एक अलग रंग लोकतंत्र की जननी कहे जाने वाली वैशाली की भूमि पर दिखायी दे रही है. लोकतंत्र के आंगन में चाचा-भतीजे की भिड़ंत का गवाह और निर्णायक बनेंगे मतदाता. वर्ष 1980 से कई बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व मंत्री वृषिण पटेल शायद अपने सबसे मुश्किल राजनीतिक परिस्थिति में हैं, जहां उनका मुकाबला उनके अपने भतीजे और जदयू से मौजूदा विधायक सिद्धार्थ पटेल से होने जा रहा है. मंगलवार को सिद्धार्थ पटेल ने जहां फिर एक बार जदयू के प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया था, वहीं बुधवार को वृषिण ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया है. वहीं, महागठबंधन की ओर से अब तक किसी के नाम की घोषण नहीं की गयी है. मालूम हो कि वैशाली विधानसभा क्षेत्र से वृषिण पटेल वर्ष 1980, 1985, 1990, 2005. 2005 और 2010 में विजयी हुए. वर्ष 2005 व 2010 में नीतीश सरकार में मंत्री भी रहे, लेकिन फिर राजनीतिक रूप से नीतीश कुमार से दूरी बनती गयी. यही वजह रही कि उनके साथ राजनीति का ककहरा सीखने वाले उनके भतीजे सिद्धार्थ पटेल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2020 में दांव आजमाया और सिद्धार्थ पटेल विजयी रहे.
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