गोरौल . एक समय था जब गांवों में एक रेडियो भी कौतूहल का विषय होता था. इक दौर हुआ करता था जब किसी-किसी गांव में ही किसी एक के पास रेडियो होता था, जिसे सार्वजनिक जगह पर रखकर लोग सामूहिक रूप से समाचार और गीत-संगीत सुना करते थे. वहीं आज का समय है, जब लगभग हर घर में मोबाइल और टीवी है. इन्हीं यादों को सहेजे हुए कटरमाला पंचायत के कटरमाला गांव में स्थित सर्वोदय पुस्तकालय आज आधुनिक स्वरूप में सामने आ रहा है. यह पुस्तकालय क्षेत्र की एक सांस्कृतिक धरोहर बन चुका है, जो समय के साथ खुद को संवार रहा है. दो मंजिला भवन में स्थित इस पुस्तकालय में मुखिया की पहल पर हजारों किताबें उपलब्ध करायी गयी हैं. यहां आसपास के कई गांवों के छात्र-छात्राएं नियमित रूप से पढ़ाई करते हैं और प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी भी करते हैं. मुखिया के प्रयास से पुस्तकालय को एक आधुनिक अध्ययन केंद्र में बदला गया है. यहां वाई-फाई, सीसीटीवी कैमरे, प्रत्येक विद्यार्थी के लिए अलग-अलग केबिन, प्रत्येक केबिन में लाइट और चार्जिंग प्वाइंट, और पंखों की व्यवस्था की गयी है. ये सब इसे किसी निजी पुस्तकालय की तरह सुविधा-सम्पन्न बनाते हैं.
मिट्टी के मकान में शुरू हुआ था पुस्तकालय
ग्रामीण बताते हैं कि इस पुस्तकालय की स्थापना 1960 के दशक में की गयी थी. संचालन के लिए एक कमेटी बनी थी, जिसके अध्यक्ष विश्वनाथ झा थे. उनके नेतृत्व में पुस्तकालय सक्रिय रूप से संचालित होता था. उस समय यहां किताबों की कोई कमी नहीं थी. किताबों की संख्या हजारों में थी. संध्या समय कई गांवों के लोग पुस्तकालय परिसर में जुटते थे और गांव-ग्राम की चर्चा देर रात तक चलती थी. पुस्तकालय की शुरुआत मिट्टी के भवन में हुई थी. उस समय छात्र-छात्राओं के साथ-साथ साहित्य प्रेमी भी यहां किताबें पढ़ने आते थे. पुस्तकें घर ले जाकर पढ़ी जाती थीं और बाद में लौटा दी जाती थीं.रेडियो पर समाचार सुनने के लिए शाम में जुटती थी लोगों की भीड़
पुस्तकालय में एक रेडियो भी रखा गया था, जिससे शाम के समय समाचार सुनने के लिए लोग एकत्र होते थे. जैसे ही रेडियो पर समाचार शुरू होता, पूरा माहौल एकदम शांत हो जाता था. इसके अलावा वर्ष में दो-तीन बार सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा पर्दे पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी दिखाए जाते थे. स्थानीय कलाकारों द्वारा पुस्तकालय के मंच पर नाटक का मंचन भी किया जाता था, जिसे देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ती थी. इतिहास स्वयं को दोहराता है, कटरमाला पंचायत का यह सर्वोदय पुस्तकालय इसका जीवंत उदाहरण बनकर सामने आया है.
क्या कहते हैं लोग
पहले के जमाने में हम लोग इसी प्रांगण में बैठकर रेडियो पर समाचार सुनते थे. संध्या वेला में दर्जनों लोगों की भीड़ होती थी. समाचार शुरू होते ही सभी शांत हो जाते थे, एक आवाज तक नहीं होती थी. बीच के समय में इसकी स्थिति बिगड़ने लगी थी, लेकिन अब तो इसमें किताबों को कौन कहे, हर सुविधा उपलब्ध है. क्षेत्र के छात्र-छात्राओं और साहित्य प्रेमियों के लिए सर्वोदय पुस्तकालय किसी वरदान से कम नहीं है.राजेंद्र पांडेय, ग्रामीण सह साहित्य प्रेमी
सर्वोदय पुस्तकालय की ख्याति पहले कई पंचायतों में थी और आज भी बनी हुई है. किताबों की कभी कोई कमी नहीं रही. अपने कार्यकाल में मैंने इसका जीर्णोद्धार कराया है. पुस्तकालय में पढ़ने के लिए हजारों किताबों के अलावा सैकड़ों धार्मिक ग्रंथ भी रखे गए हैं. वाई-फाई, सीसीटीवी कैमरा सहित सभी आधुनिक सुविधाओं से इसे लैस किया गया है, और ये सभी सुविधाएं निःशुल्क हैं.जानकी देवी, मुखिया, कटरमाला पंचायत
लगभग 70 बसंत देख चुका सर्वोदय पुस्तकालय आज भी अपनी पहचान बरकरार रखे हुए है. क्षेत्र के लोगों को जितना फायदा इस पुस्तकालय से होना चाहिए, उतना नहीं हो रहा है, इससे दुख की बात और क्या हो सकती है. हालांकि इसे हर संसाधन से लैस किया गया है. अगर चाहें तो क्षेत्र के युवक-युवतियां इस पुस्तकालय में निःशुल्क पढ़कर आगे बढ़ सकते हैं.रामानुज शरण, पूर्व मुखिया सह भूमिदाता
यह पुस्तकालय किसी धरोहर से कम नहीं है. यहां की किताबों का अध्ययन कर बच्चे निशुल्क प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर सकते हैं. यह पुस्तकालय आज के दौर में हर सुविधा से लैस है. बच्चे चाहें तो इन्हीं पुस्तकों को पढ़कर ऊंचे मुकाम तक पहुंच सकते हैं. देखना यह है कि ज्ञान रूपी इस सरोवर से युवा कितना लाभ उठाते हैं.धर्मेंद्र कुमार, शिक्षक
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