हाजीपुर. विश्व यक्ष्मा दिवस पर सोमवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सहदेई बुजुर्ग के परिसर में जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया. इस दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुनील केसरी ने कहा कि टीबी के खिलाफ लड़ाई में सरकार, निजी चिकित्सकों और आम जनता की सामूहिक भागीदारी आवश्यक है. एएनएम स्कूल की प्राचार्य नेहा कुमारी ने छात्राओं से टीबी के प्रति जागरूकता फैलाने और इस दिशा में कार्य करने का आह्वान किया. डॉक्टर फॉर यू के सलाहकार डॉ एसके रावत ने कहा कि टीबी के संभावित रोगियों की जल्द पहचान और संपूर्ण इलाज से इस कार्यक्रम को सफल बनाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि बुजुर्गों में टीबी होने की आशंका अधिक होती है, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. उन्होंने स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हरी सब्जियों, मौसमी फलों और प्रोटीन युक्त भोजन के सेवन को टीबी से बचाव के लिए उपयोगी बताया.
इस अवसर पर टीबी मॉडल पदाधिकारी डॉ अजीत कुमार तिवारी, सीता सामाजिक सेवा संस्थान की सचिव बेबी कुमारी, जिला समन्वयक मुकेश कुमार और स्वास्थ्य प्रबंधक नजीर हुसैन सहित कई स्वास्थ्यकर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे.क्या है टीबी रोग
टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया से होने वाली संक्रामक बीमारी है, जो पूरी तरह से इलाज योग्य है. यदि किसी व्यक्ति में टीबी के लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केंद्र, आयुष्मान आरोग्य मंदिर, पीएचसी, सीएचसी या जिला अस्पताल में जांच करानी चाहिए.टीबी के प्रमुख लक्षण
दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसीबुखार आनावजन कम होनारात में पसीना आनाभूख न लगनामुंह से खून आना
सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफथकान महसूस होनागर्दन में गांठ होना
संक्रमण से बचाव के उपाय
डॉक्टर की सलाह के अनुसार टीबी का पूरा इलाज कराना जरूरी है. इलाज को बीच में न छोड़ें, क्योंकि ऐसा करने से मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर-टीबी) होने की संभावना बढ़ जाती हैउचित पोषण पर ध्यान दें.
यदि परिवार में किसी को टीबी है, तो अन्य सदस्यों को भी टीबी परीक्षण कराना चाहिएखांसते और छींकते समय मुंह को ढकें और मास्क पहनें, ताकि संक्रमण न फैलेडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है