हाजीपुर. महुआ अनुमंडल क्षेत्र में इन दिनों राजस्व महाअभियान के तहत अभूतपूर्व सक्रियता देखने को मिल रही है. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक परिवार तक उनकी जमाबंदी पहुंचे और लोग अपनी भूमि से संबंधित वैध कागजातों के प्रति पूरी तरह जागरूक बनें. इसी कड़ी में प्रत्येक मौजा में विशेष कैंप का आयोजन किया जा रहा है, जहां आम लोगों को उनकी जमाबंदी उपलब्ध करायी जा रही है और आवश्यक सुधार कार्य मौके पर ही किया जा रहा है. प्रशासन की ओर से लोगों को यह स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है कि भूमि से जुड़े अधिकार और कर्तव्य दोनों के प्रति सजग होना आवश्यक है. अधिकारियों ने बताया कि यदि किसी परिवार में मौखिक बंटवारा हो चुका है तो उसे केवल परंपरा तक सीमित न रखकर लिखित रूप में दर्ज कराना जरूरी है. इसके लिए समझौता पत्र तैयार कर अलग-अलग जमाबंदी बनवाना होगा. ऐसा करने से भविष्य में किसी विवाद की संभावना स्वतः समाप्त हो जायेगी और उत्तराधिकारियों के अधिकार भी सुरक्षित रहेंगे. कैंपों में यह भी सुविधा दी जा रही है कि यदि किसी व्यक्ति की जमाबंदी में कोई त्रुटि पायी जाती है तो उसका तत्काल परिमार्जन कराया जा सके. नाम की अशुद्धि, क्षेत्रफल की गड़बड़ी या अन्य तकनीकी त्रुटियों को मौके पर ही सुधारा जा रहा है. इससे नागरिकों को बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगाने से राहत मिल रही है. प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन मामलों में जटिल भूमि विवाद मौजूद हैं, उनके समाधान के लिए नागरिक नियमित रूप से शनिवार को आयोजित जनता दरबार में अंचलाधिकारी से मिलकर अपनी समस्या दर्ज कराएं. सीओ स्वयं उपस्थित रहकर आवेदकों की समस्याएं सुनते हैं और विधिसम्मत समाधान के लिए दिशा-निर्देश देते हैं. इस महाअभियान में राजस्व कर्मियों के साथ-साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी सहभागिता सुनिश्चित की जा रही है. पंचायत स्तर पर मुखिया, वार्ड सदस्य और ग्रामीण प्रतिनिधियों से अपेक्षा की गई है कि वे लोगों को कैंप तक पहुंचने के लिए प्रेरित करें. इसके अलावा माइकिंग और जागरूकता रथ के माध्यम से भी लगातार प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. एसडीओ ने आम जनता से अपील की है कि वे इस अभियान को केवल सरकारी औपचारिकता न समझें, बल्कि इसे अपने भविष्य की सुरक्षा का अवसर मानें. भूमि विवाद वर्षों तक परिवारों को परेशान करते हैं और अदालतों में लंबित मामले पीढ़ी दर पीढ़ी खिंचते रहते हैं. यदि नागरिक समय रहते अपनी जमाबंदी की प्रति प्राप्त कर लें, त्रुटि सुधार करा लें और सहमति पत्र के आधार पर बंटवारा दर्ज करा लें तो न केवल विवादों से मुक्ति मिलेगी बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी कानूनी सुरक्षा मिलेगी.
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