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कटाव से गनियारी के कई घर गंगा नदी में समाहित

प्रखंड क्षेत्र के नयागांव पश्चिमी पंचायत के गनियारी वार्ड संख्या 13 के लोग पहले बाढ़ से अब कटाव से परेशानी में आ गए है. यहां के चार सौ परिवारों पर कटाव का खतरा मंडराने लगा है. मंगलवार तक 20 परिवारों का घर कटाव के भेंट चढ़ कर गंगा नदी में समाहित हो गया.

सहदेई बुजुर्ग. प्रखंड क्षेत्र के नयागांव पश्चिमी पंचायत के गनियारी वार्ड संख्या 13 के लोग पहले बाढ़ से अब कटाव से परेशानी में आ गए है. यहां के चार सौ परिवारों पर कटाव का खतरा मंडराने लगा है. मंगलवार तक 20 परिवारों का घर कटाव के भेंट चढ़ कर गंगा नदी में समाहित हो गया. जिसके कारण सभी बीस परिवारों के लोग भवनहीन होकर खानाबदोश की जिंदगी जीने को विवश हो गए हैं. जिससे उनलोंगो के सामने विभिन्न तरह की समस्या उत्पन्न हो गई है. कटाव रोकने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. जिसके कारण गनियारी गांव का अस्तित्व खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है. गांव के हजारों लोग डर के साय में जी रहे हैं. कटाव के पहले राउंड में अनिल राय, देवी राय, रामप्रवेश राय, ललित राय, रामविलास राय, प्रमोद राय, रामप्रवेश राय, रंजीत राय, चन्द्र मोहन राय, पिंकी देवी,श्यामपरी देवी घर गंगा नदी में समाहित हो गया था. जिसके ठीक एक सप्ताह बाद गुरुवार की सुबह लाल बाबू राय, रामप्रवेश राय, बिंदा राय, अवधेश राय, जुलम राय, अरविंद ठाकुर, प्रमोद राय, राजकुमार राय, नवल राय, प्रदिप राय, गोगल राय, संजय राय, कपल राय का घर गिर गया. स्थानीय लोगों ने बताया कि वकील राय, सिपाही राय, कुशेश्वर राय, देवप्रसाद राय, जगदीश राय, ममता देवी का घर भी कटाव के जद में आया हुआ है. उन सभी का घर आज कल में गिर जाएगा. जबकि संतोष राय, उमेश राय, सुरेश सिंह, अनरजीत राय, अर्जुन राय, राजबली राय, शिवचंद्र राय, विरचन्द्र राय, जयलाल राय, भुल्लु राय, संजीत राय, उमाशंकर राय, राजीव राय, रामाशंकर राय ने अपने पक्का घरों को तोड़ दिया हैं और खाली कर खुले आसमान के नीचे आ गए हैं. कटाव तेज होने से उत्तर दिशा की ओर तेजी से बढ़ रहा है, अगर कटाव को रोकने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया तो, बहुत जल्द ही कटाव हाजीपुर-महनार मुख्य मार्ग तक पहुंच जाएगा. उधर अपने आंखों के सामने अपने आशियाने को गंगा नदी में समाहित होते देख सभी भावुक होकर रो रहे हैं. कटाव पीड़ितों ने बताया कि उन लोगों को रहने के लिए दूसरी जगह नहीं है. गंगा नदी में घर समाहित हो जाने से परिवार के सभी सदस्य खुले आसमान के नीचे आ गए हैं. उन लोगों को रहने के लिए कोई दूसरा व्यवस्था नहीं है. उपजाऊ जमीन के साथ- साथ घर भी गंगा नदी में समाहित होने की वजह से सभी को रहने सहने और खाने पीने की समस्या हो गई है.

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