हाजीपुर. बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ के आह्वान पर डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार के कारण गुरुवार को सदर अस्पताल में ओपीडी सेवाएं बाधित हुईं. अस्पताल ओपीडी में मेडिसिन, सर्जिकल, ऑर्थोपेडिक, स्त्री रोग, शिशु रोग, चर्म रोग, दंत रोग, इएनटी समेत सभी विभागों के चिकित्सकों के कक्ष में सुबह नौ बजे से 11 बजे तक ताले लटके रहे. इस बीच ओपीडी में वीरानी छायी रही और इलाज को आये मरीज परेशान होकर इधर-उधर भटकते रहे. इसके बाद सिविल सर्जन के निर्देश पर डॉक्टरों ने 11 बजे दिन के बाद से अपने कक्ष में आकर मरीजों को देखना शुरू कर दिया. इलाज शुरू होने से मरीजों ने राहत की सांस ली. अस्पताल में सुबह नौ बजे चिकित्सकों ने अपनी मांगों के समर्थन में कार्य बहिष्कार करते हुए ओपीडी, रजिस्ट्रेशन काउंटर, दवा वितरण केंद्र को बंद करा दिया. उसके बाद करीब ढ़ाई घंटे तक ओपीडी सेवाएं ठप रहीं. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ श्यामनंदन प्रसाद ने बताया कि वैशाली जिले में चिकित्सकों की हड़ताल का कोई असर नहीं है और सभी अस्पतालों में चिकित्सा सेवा जारी है. सदर अस्पताल के ओपीडी में सुबह की पाली में कुछ समय के लिए कार्य बाधित हुआ था, लेकिन सभी चिकित्सक अपनी ड्यूटी पर उपस्थित हो गये.
डॉक्टरों की मांगों की अनदेखी का आरोप
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे चिकित्सक संघर्ष मोर्चा, बिहार के प्रदेश महासचिव एवं डेंटल हेल्थ सर्विसेज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ ठाकुर मुकेश सिंह चौहान ने बताया कि बिहार में लंबे समय से चिकित्सकों की मांगों की अनदेखी और प्रशासनिक उत्पीड़न के खिलाफ बिहार हेल्थ सर्विस एसोसिएशन (भासा) ने 27 से 29 मार्च तक राज्य भर में कार्य बहिष्कार का एलान किया है. मरीजों की परेशानियों को देखते हुए आपातकालीन सेवाओं को इससे मुक्त रखा गया है. तीन दिवसीय आंदोलन के दौरान सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बाधित रहेंगी. वहीं, इमरजेंसी सेवाएं जारी रहेंगी. चिकित्सकों का कहना है कि सरकार उनकी समस्याओं की अनदेखी कर रही है.मां
गें पूरी नहीं होने पर तेज होगा आंदोलन
भासा के प्रवक्ता डॉ विनय कुमार ने बताया कि सरकार को कई बार पत्र लिखकर चिकित्सकों की परेशानियों पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया गया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. शिवहर, गोपालगंज, मधुबनी सहित कई जिलों में डॉक्टरों का वेतन बायोमेट्रिक के आधार पर महीनों से रोका गया. कनीय अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के नाम पर डॉक्टरों का उत्पीड़न किया जा रहा है. सुरक्षा, आवास, गृह जिले में पोस्टिंग, कार्य अवधि का निर्धारण, लीव रिजर्व पोस्ट सृजन करने जैसी मांगें लंबित हैं. हर साल चार हजार से ज्यादा डॉक्टर पीजी और सीनियर रेजिडेंसी के लिए स्टडी लीव पर जाते हैं, लेकिन सरकार इन पदों को रिक्त नहीं मानती. इससे मौजूदा डॉक्टरों पर भारी दबाव पड़ रहा है. संघ ने कहा कि यदि सरकार समस्याओं के समाधान के लिए 29 मार्च तक कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो आंदोलन को और तेज किया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

