हाजीपुर. विवाह के लिए शुभ लग्न अब समाप्त हो गये हैं. इसके साथ ही पांच महीने तक विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों पर विराम लग गया. आषाढ़ शुक्ल एकादशी, जिसे हरिशयन एकादशी कहा जाता है, से चातुर्मास आरंभ हो जायेगा. इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं, इसलिए कोई शुभ कार्य नहीं किये जाते. पंचांग के अनुसार, 11 जून को बुधवार शाम 6:40 बजे बृहस्पति (गुरु) ग्रह पश्चिम दिशा में अस्त हो जायेंगे. इसके बाद 7 जुलाई को शाम 3 बजे पूर्व दिशा में उदय होंगे, लेकिन 6 जुलाई को हरिशयन एकादशी के साथ चातुर्मास शुरू हो जायेगा, जो 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी तक चलेगा. देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्यों की पुनः शुरुआत होगी. नवंबर में फिर से शुभ लग्न का सिलसिला शुरू होगा. नवंबर में 18, 19, 21, 22, 23, 24, 25, 29, 30 तारीख को बनारसी पंचांग के अनुसार और 20, 21, 23, 24, 26, 27, 30 को मिथिला पंचांग के अनुसार विवाह योग्य मुहूर्त होंगे. दिसंबर में भी कुछ दिनों जैसे 1, 4, 5, 6, 7 और 8 तारीख को शुभ विवाह तिथियां हैं.
शुक्र भी होंगे अस्त
देवउठनी एकादशी के बाद विवाह आरंभ तो होंगे, लेकिन 11 दिसंबर को मध्यरात्रि 12 बजे शुक्र ग्रह पूर्व दिशा में अस्त हो जायेंगे. इसके बाद अगले वर्ष जनवरी तक विवाह की अनुमति नहीं होगी. एक फरवरी को माघ शुक्ल पूर्णिमा को शुक्र के पुनः उदय होने पर ही विवाह मुहूर्त फिर शुरू होगा.
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