सीवान. धान खरीद का सरकारी अभियान विभाग के चौखट पर ही दम तोड़ते नजर आ रहा है. आंकड़ों में देखें तो अभी तक छह फीसद किसानों ने ही धान बेचने के लिये विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है. लिहाजा खरीद की रफ्तार भी दो माह बाद लक्ष्य का 24 फीसद तक ही पहुंच पाया है. ऐसे में गत दिनों टास्क फोर्स की बैठक में सहकारिता विभाग के अफसर कृषि विभाग पर अभियान के विफलता का ठिकरा फोड़ते नजर आये. धान खरीद में तेजी लाने के लिये अब किसानों का पंजीकरण बढ़ाने को लेकर प्रत्येक पंचायतों से तत्काल औसतन 50 किसानों को जोड़ने का डीएम विवेक रंजन मैत्रेय ने लक्ष्य दिया है.
अब तक 3303 किसानों से 19.468 टन खरीद
कृषि विभागों के आंकड़ों के मुताबिक जिले में पारंपरिक खेती करनेवाले किसानों की संख्या चार लाख से अधिक है.जबकि अब तक 25 हजार 199 किसानों ने धान बेचने के लिये पंजीकरण कराया है.इसके मुताबिक 6.25 प्रतिशत पंजीकृत किसानों की संख्या है. इसमें से भी अभी तक 3 हजार 303 किसानों ने ही कुल 19 हजार 468 टन धान क्रय केंद्रों को बेचा है, जबकि धान खरीद की आधी अवधी चार दिनों में समाप्त हो जायेगी. शासन ने जिले को इस बार धान खरीद का 82 हजार 68 टन का लक्ष्य दिया है.धान खरीद में सिसवन आगे, मैरवा पीछे
धान खरीद की अब तक की प्रगति के आंकड़े बता रहे हैं कि सिसवन प्रखंड सबसे आगे है.यहां के कुल 12 क्रय केेंद्रों ने 346 किसानों से 1870 टन धान की खरीद की है.इसके बाद भगवानपुर हाट दूसरा व दरौली प्रखंड तीसरे स्थान पर है.सबसे पीछे खरीद में रहा मैरवा प्रखंड के 6 क्रय केंद्रों ने 74 किसानों से 321 टन धान की खरीद की है.कृषि विभाग को पंजीकृत किसानों की संख्या बढ़ाने का टास्क
किसानों के निबंधन से लेकर कैंप आयोजन तक में अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने के कारण प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी, पैक्स अध्यक्ष और प्रबंधक परेशान हैं. हालात ऐसे हैं कि धान खरीद की पूरी व्यवस्था होने के बावजूद किसान रजिस्ट्रेशन की धीमी रफ्तार से लक्ष्य प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है. इसी गंभीर स्थिति को लेकर हाल ही में जिलास्तरीय अधिप्राप्ति टास्क फोर्स की बैठक में कृषि विभाग की भूमिका पर खुलकर सवाल उठे. बैठक में बताया गया कि किसानों के रजिस्ट्रेशन कराने में जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा अपेक्षित रुचि नहीं दिखाई जा रही है. इसका सीधा असर किसानों के निबंधन पर पड़ रहा है. आंकड़ों ने भी स्थिति की गंभीरता को उजागर किया. जानकारी दी गई कि बीते एक सप्ताह में पूरे जिले में मात्र 493 किसानों का ही निबंधन हो सका है. यह स्थिति तब है, जब 15 दिसंबर को हुई पिछली बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी को किसानों के निबंधन में तेजी लाने के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे.मात्र चार प्रखंडों में ही कैंप लगाकर किसानों का हुआ पंजीकरण
बैठक के दौरान यह भी सामने आया कि प्रखंडवार किसानों के निबंधन से संबंधित प्रगति प्रतिवेदन जिला आपूर्ति शाखा और अधिप्राप्ति से जुड़े व्हाट्सएप ग्रुप में नियमित रूप से नहीं भेजा जा रहा है. प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारियों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कृषि विभाग के अधिकारी धान अधिप्राप्ति में सहयोग नहीं कर रहे हैं. किसानों को जागरूक करने, कैंप लगाने और ऑन-द-स्पॉट रजिस्ट्रेशन कराने में विभागीय समन्वय का अभाव साफ दिख रहा है. समीक्षा के दौरान चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई. पूरे जिले में सिर्फ बड़हरिया, दरौली, गोरेयाकठी और महाराजगंज प्रखंडों में ही कैंप का आयोजन किया गया. शेष प्रखंडों में निर्देश के बावजूद कैंप नहीं लगे. हाल यह है कि अब तक 247 पैक्स का चयन हुआ है. इनमें से चार नये पैक्स हैं. धान खरीद का लक्ष्य प्राप्त होने के बाद 314 समितियों के बीच लक्ष्य का बंटवारा कर दिया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

