गोपालगंज. मांझा बीडीओ के चार सरकारी बैंक खातों में सेंध लगाकर 15 लाख रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के मामले की अब सीबीआइ जांच करेगी.
सरकार की अनुशंसा स्वीकार करते हुए सीबीआइ ने पटना शाखा में मामला दर्ज कर लिया है. इंस्पेक्टर प्रशांत यादव के नेतृत्व में जांच टीम गठित की गयी है. भारत सरकार के अंडर सेक्रेटरी सत्यम श्रीवास्तव के निर्देश पर सीबीआइ के एसपी बी लकरा ने यह मामला पटना शाखा में पंजीकृत किया है. सीबीआइ के हाथों जांच जाने से घोटाले का दायरा बढ़ने की संभावना जतायी जा रही है और इसमें लिप्त अधिकारियों की मुश्किलें भी बढ़ गयी हैं. मांझा थाने में दर्ज कांड संख्या 222/2022 को अब सीबीआइ ने टेकओवर कर लिया है. इससे पहले इस मामले की जांच मांझा थाने की पुलिस कर रही थी, लेकिन कांड दर्ज करने के बाद जांच में कोई खास प्रगति नहीं हो सकी थी.शाखा प्रबंधक और बैंक मित्र की संलिप्तता उजागर
ग्रामीण बैंक मांझा शाखा में तैनात तत्कालीन शाखा प्रबंधक जोसेफ कुजूर (पिता-बोनिफास कुजूर, निवासी-रोगो नेहालू, रांची, झारखंड) और पिपरा शाखा के तत्कालीन बैंक मित्र राकेश कुमार मांझी (पिता-सीताराम मांझी, निवासी-कर्णपुरा, थाना-मांझा) ने मिलीभगत कर मांझा बीडीओ और अन्य खातों से अवैध निकासी की. इसके बाद उन्होंने संबंधित यूजर आइडी का उपयोग कर अन्य खातों में धनराशि ट्रांसफर कर दी. इस प्रकार कुल 14,52,897 रुपये की सार्वजनिक/सरकारी धनराशि का गबन किया गया, जिसकी राशि आगे और बढ़ने की संभावना है. इस अवैध लेन-देन में 1,90,897 रुपये की राशि राकेश कुमार मांझी के खाते में स्थानांतरित की गयी, जबकि शेष राशि विभिन्न किसान क्रेडिट कार्ड (केससी) और अन्य खातों में भेजी गयी.ऑडिट में हुआ घोटाले का खुलासा
बैंक में हुए इस फर्जीवाड़े की पोल शाखा की ऑडिट में खुली. इसके बाद क्षेत्रीय प्रबंधक के आदेश पर मांझा शाखा के पूर्व शाखा प्रबंधक आशीष अग्रहरि (निवासी-खुर्रमपुर, गीता प्रेस के पास, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश) की तहरीर पर मांझा थाने में 13 जुलाई, 2022 को कांड संख्या 222/2022 दर्ज किया गया. इसमें जोसेफ कुजूर और राकेश कुमार मांझी को नामजद अभियुक्त बनाया गया. बैंक प्रबंधन ने तत्काल प्रभाव से जोसेफ कुजूर को निलंबित करते हुए उनका स्थानांतरण अररिया मुख्यालय कर दिया था.
जीविका खातों से भी हेराफेरी
जीविका योजना के खातों से भी मांझा में अवैध रूप से धन की निकासी की गयी. अब जबकि इस मामले की जांच सीबीआइ कर रही है, तो एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है. मांझा के अलावा बसडीला और कोन्हवां शाखाओं में भी 10 लाख रुपये से अधिक के घोटाले सामने आ चुके हैं. ऐसे में जांच का दायरा बढ़ने पर कई अन्य अधिकारी भी जांच के घेरे में आ सकते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है