गोपालगंज. सोशल मीडिया हमारे ज्ञान को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से प्रभावित करती है. नवोदित साहित्यकारों के साथ नयी पीढ़ी के हर युवा को यह बात समझना जरूरी है. उक्त बातें साहित्य, कला और नाटक-रंगमंच के प्रसिद्ध समालोचक डॉ. ज्योतिष जोशी ने प्रभात खबर से बातचीत के दौरान कहीं. हिंदी साहित्य में 27 से अधिक पुस्तकों के लेखन तथा 14 से अधिक कृतियों के संपादन के माध्यम से समाज को नयी दिशा देने वाले डॉ. जोशी अपने पैतृक गांव धर्मकता आये थे. प्रभात खबर कार्यालय पहुंचे, डॉ जोशी ने कहा कि जहां उन्होंने नवोदित साहित्यकारों पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि नवोदित साहित्यकार अपनी रचनाओं को पूरा करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेने लगते हैं, जिससे उनकी रचनाएं मौलिकता से भटक जाती हैं.
अनावश्यक पोस्ट से बचें युवा
उन्होंने सुझाव दिया कि सोशल मीडिया को वे अपने लिए मंच के रूप में उपयोग करें, लेकिन अनावश्यक पोस्ट करने से बचें. युवा किताबों से दूर हो रहे हैं. इससे उनको साहित्य के क्षेत्र में जुड़ाव नहीं हो रहा, जो गंभीर चिंता का विषय है. युवाओं को सोशल मीडिया से अलग होकर किताबों को पढ़ने के प्रति अपना रुख करना चाहिए. गौरतलब है कि डॉ. जोशी ने गोपालगंज से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में मास्टर डिग्री प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने जेएनयू से एमफिल और पीएचडी की. उन्हें संस्कृति और परंपरा के समकालीन मूल्यांकन के लिए विशेष रूप से ख्याति प्राप्त है. उन्होंने भारतीय संस्कृति की धरोहरों को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने और उनके प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. डॉ. जोशी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. इनमें राजभाषा गौरव सम्मान, फोक आर्ट एंबेसडर अलंकरण और साहित्य सेवा सम्मान शामिल हैं. उन्होंने बेल्जियम, जर्मनी, पोलैंड और इटली जैसे देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. साथ ही, उन्होंने देश की प्रतिष्ठित संस्थाओं जैसे ललित कला अकादमी, हिंदी अकादमी और प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय में भी कार्य किया है.
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