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Gopalganj News : पंचदेवरी में पंस की बैठक में छाये रहे कई मामले, बिजली कंपनी की उदासीनता पर भी उठे सवाल

Gopalganj News : प्रखंड कार्यालय के सभागार में बुधवार को पंचायत समिति की बैठक की गयी. अध्यक्षता प्रमुख प्रभाकर राय ने की.

पंचदेवरी. प्रखंड कार्यालय के सभागार में बुधवार को पंचायत समिति की बैठक की गयी. अध्यक्षता प्रमुख प्रभाकर राय ने की. बैठक में जनप्रतिनिधियों ने कई योजनाओं को पूरा करने की मांग उठायी. सर्वसम्मति से कई प्रस्ताव भी पारित किये गये.

नल-जल योजना की बदहाली पर भी हुई चर्चा

महुअवा के मुखिया विश्वकर्मा बैठा व बनकटिया के मुखियापति विजय सिंह कुशवाहा द्वारा बिजली कंपनी पर उदासीनता का आरोप लगाया गया. इन प्रतिनिधियों ने बताया कि महुअवा में बिजली का तार लटक कर काफी नीचे आ गया है. सूचना देने के बाद भी कोई पहल नहीं की जाती है. बनकटिया में भी सड़क से पोल हटवाने की मांग कई बार की गयी है, लेकिन बिजली कंपनी पर कोई असर नहीं होता. क्षेत्र संख्या पांच में वार्षिक योजना से दो चबूतरा व शौचालय बनवाने की मांग की गयी. खालगांव के मुखियापति दुर्गेश कुशवाहा ने नल-जल योजना की बदहाली पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि जबसे पीएचइडी द्वारा इसकी कमान संभाली गयी है, तबसे स्थिति और बदतर हो गयी है.

राशन कार्ड से योग्य लाभुकों के नाम गायब होने की हुई शिकायत

राशन कार्ड से योग्य लाभुकों के नाम गायब होने तथा शौचालय की राशि के भुगतान को लेकर भी जनप्रतिनिधियों ने शिकायत की. कृषि संबंधित योजनाओं पर भी बैठक में चर्चा की गयी. योग्य लाभुकों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना का लाभ मिले, इसकी मांग भी जनप्रतिनिधियों ने की. बीडीओ राहुल रंजन ने सभी समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया. जनप्रतिनिधियों ने यह भी आरोप लगाया कि इन दिनों प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में पशुओं में गांठदार त्वचा रोग (एलएसडी) काफी तेजी से फैल रहा है. इस बीमारी से दर्जनों पशुओं की मौत भी हो चुकी है. संबंधित विभाग द्वारा इसके प्रति सक्रियता नहीं दिखायी जा रही है. मौके पर सीओ तरुण कुमार रंजन, बीसीओ विमलेश कुमार, बीइओ जानकी कुमारी, मुखिया प्रतिनिधि राकेश यादव, कृषि समन्वयक सुमंत दुबे, श्रवण राम समेत कई पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि मौजूद थे.

बैठक में नहीं दिखीं महिला जनप्रतिनिधि

महिला सशक्तीकरण को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है. महिलाओं को सबल बनाने के लिए पंचायत स्तर के विभिन्न पदों पर पर उन्हें आरक्षण दिया गया है. उनके उत्थान के लिए सरकार प्रयासरत है, लेकिन महिला सशक्तीकरण का यह दावा गांव की सरकार में भी फेल होता नजर आता है. प्रखंड स्तर की किसी भी बैठक में महिला जनप्रतिनिधियों की सहभागिता नहीं रहती. महिला जनप्रतिनिधियों के पति या उनके परिवार के अन्य सदस्य ही उनकी जगह शामिल होते हैं. यही स्थिति बुधवार को भी पंचायत समिति की बैठक में दिखी. महिला जनप्रतिनिधियों के प्रतिनिधि ही उनकी कमान संभाले हुए थे.

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