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Gopalganj News : स्वर्गवासी के नाम पर जमाबंदी करने पर विभाग सख्त, एडीएम ने सिधवलिया सीओ से किया शो-कॉज

Gopalganj News : सिधवलिया में बुधसी ग्राम पंचायत में मंगोलपुर व बुचेया गांव में 10 वर्ष पूर्व स्वर्गवास होने वाले के नाम पर जमाबंदी कर देने का मामला प्रभात खबर में उजागर होने के बाद विभाग एक्शन मोड में आ गया है.

गोपालगंज. सिधवलिया में बुधसी ग्राम पंचायत में मंगोलपुर व बुचेया गांव में 10 वर्ष पूर्व स्वर्गवास होने वाले के नाम पर जमाबंदी कर देने का मामला प्रभात खबर में उजागर होने के बाद विभाग एक्शन मोड में आ गया है. इस प्रकरण में कदम- कदम पर नियम-कायदे-कानून को ताक पर रखने की बात सामने आयी है.

प्रकरण की जांच के लिए टीम का हुआ गठन

अपर समाहर्ता राजेश्वरी पांडेय ने सीओ से जवाब तलब करते हुए पूछा कि जब आवेदक की 10 वर्ष पहले मौत हो चुकी थी, तो उसके नाम का आवेदन किसने दिया. आवेदन एक साल पहले ऑनलाइन हुआ था, तो एक साल तक जमाबंदी करने में क्यों लगा. दस्तावेज 1945 का था, तो क्या उसके दाखिल-खारिज करने के लिए सक्षम पदाधिकारी से अनुमति ली गयी? अगर अनुमति नहीं ली गयी, तो जमाबंदी कैसे कायम की गयी? अब इस प्रकरण की जांच के लिए टीम का गठन किया गया है. टीम जांच करेगी कि दीपऊ गांव के श्यामनारायण सिंह की मौत कब हुई. मौत के बाद उनके नाम पर जमाबंदी के लिए आवेदन कहां से आ गया. भूमि साइट पर 1945 के दस्तावेज पर 1976 कैसे दर्ज हो गया. जिस जमीन की जमाबंदी की गयी, क्या श्याम नारायण सिंह के कब्जे है. अगर नहीं है, तो जमाबंदी कैसे हो गयी? उस जमीन पर कितने लोगों का मकान पुश्तैनी है. जिनका मकान है, उनके पास क्या कागजात हैं.

आवेदन के एक साल बाद कर दी गयी जमाबंदी

मंगोलपुर के 40 प्लाॅट के लिए दो जनवरी 2024 को दीपऊ गांव के श्यामनारायण सिंह ने दाखिल खारिज करने के लिए आवेदन ऑनलाइन किया. इसकी आवेदन संख्या है. 2004/2023 2024 है. पांच जनवरी 2024 को पहले हियरिंग में सीओ अभिषेक कुमार ने सुनवाई की. उनके द्वारा अपने कार्यकाल में उसे नहीं किया गया. ठीक एक साल बाद 25 जनवरी, 2025 को राजस्व कर्मचारी मुन्ना राम की रिपोर्ट पर सीआइ राजकुमार मांझी ने उसी दिन दाखिल- खारिज के लिए अनुशंसा कर दी. 25 जनवरी को ही आम सूचना सीओ की ओर से कर दी गयी. उसके बाद 13 फरवरी को सीओ के द्वारा कागजी कार्रवाई को पूरा कराने के साथ ही दाखिल- खारिज कर दिया गया. उस समय के वर्तमान सीओ अभिषेक कुमार ने उसपर कोई कार्रवाई नहीं की. लेकिन एक साल बाद सीओ प्रीति लता के द्वारा दाखिल-खारिज कर दिया गया.

दस्तावेज की तिथियों में भी हेराफेरी

जानकार सूत्रों ने बताया कि जिस जमीन की दाखिल-खारिज हुई, वह मंगोलपुर व बुचेया में रकबा 2 एकड़ 289.602 डिसमिल जमीन है. ऑनलाइन आवेदन में जो दस्तावेज संख्या प्रविष्ट किया गया है, वह 4953 एवं दस्तावेज तिथि 17 दिसंबर 1976 प्रदर्शित हो रहा है. ऑनलाइन पर जो दस्तावेज अपलोड किया गया है, उसमें दस्तावेज संख्या 8234 सन 1945 तारीख 16 अगस्त 1945 प्रदर्शित हो रहा है. इसमें 30-40 की संख्या में लोगों का पुश्तैनी मकान बना हुआ है.

बगैर जांच किये ही कर्मचारी ने कर दी थी रिपोर्ट

मृतक के नाम पर जमाबंदी मामले में यह तो साफ हो गया है कि राजस्व कर्मचारी मुन्ना राम ने बगैर जमीन का जांच-पड़ताल किये ही रिपोर्ट कर दी थी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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