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Gopalganj News : सिधवलिया में स्वर्गवासी के नाम पर राजस्व कर्मी और सीआइ की रिपोर्ट पर सीओ ने की जमाबंदी

गोपालगंज. अब तक तो आप राजेंद्र नगर बस स्टैंड, कुचायकोट के तिवारी मटिहनिया में गंडक नहर, सलेहपुर में सरकारी जमीन, भोरे के इमिलिया में श्मशान की जमीन की जमाबंदी कर देने की बात जान चुके हैं.

गोपालगंज. अब तक तो आप राजेंद्र नगर बस स्टैंड, कुचायकोट के तिवारी मटिहनिया में गंडक नहर, सलेहपुर में सरकारी जमीन, भोरे के इमिलिया में श्मशान की जमीन की जमाबंदी कर देने की बात जान चुके हैं. अब सिधवलिया में बुधसी ग्राम पंचायत में मंगोलपुर व बुचेया गांव में 10 वर्ष पूर्व स्वर्गवास हो चुके व्यक्ति के आवेदन पर सिधवलिया सीओ ने दाखिल-खारिज कर दी.

बगैर जांच किये ही दाखिल-खारिज के लिए कर दी अनुशंसा

यह नयी जमाबंदी जिस जमीन की हुई है, उस पर दर्जनों लोगों का पुश्तैनी मकान बना हुआ है. इस जमाबंदी ने लोगों के बीच खून-खराबे की स्थिति को पैदा कर दिया है. बगैर जांच-पड़ताल किये ही राजस्व कर्मचारी मुन्ना राम के दिनांक 25 जनवरी 2025 की रिपोर्ट पर सीआइ राजकुमार मांझी ने उसी दिन दाखिल-खारिज के लिए अनुशंसा कर दी. 25 जनवरी को ही आम सूचना सीओ की ओर से कर दी गयी. उसके बाद 13 फरवरी को सीओ के द्वारा कागजी कार्रवाई को पूरा कराने के साथ ही दाखिल-खारिज कर दी गयी. जमीन करोड़ों रुपये की है. दिपऊ गांव के श्याम नारायण सिंह की मृत्यु 10 वर्ष पूर्व हो गयी थी. उनके नाम पर सिधवलिया अंचल में 02 जनवरी 2024 को दाखिल-खारिज के लिए आवेदन ऑनलाइन किया गया. इसका आवेदन संख्या है. 2004/2023 2024 है. उस समय के वर्तमान अंचलाधिकारी अभिषेक कुमार ने उसपर कोई कार्रवाई नहीं की. लेकिन एक साल बाद सीओ प्रीति लता के द्वारा दाखिल-खारिज की गयी है.

करोड़ों की जमीन पर बसे हैं दर्जनों परिवार

जानकार सूत्रों ने बताया कि जिस जमीन की दाखिल-खारिज हुई है, वह मंगोलपुर व बुचेया रकबा 2 एकड़ 289.602 डिसमिल जमीन है. इसमें 30- 40 की संख्या में लोगों के पुश्तैनी मकान बने हुए हैं. राजस्व कर्मचारी को यह नहीं दिखा कि लोगों के घर भी हैं, जो आने वाले दिनों में एक बड़ा विवाद का रूप ले सकता है. वहीं सिधवलिया की पूर्व ब्लॉक प्रमुख संगीता सिंह ने पूरे मामले में उच्चस्तरीय जांच कर कार्रवाई की अपील की है.

दाखिल-खारिज में जमा दस्तावेज में भी फ्रॉड

ऑनलाइन आवेदन में जो दस्तावेज संख्या प्रविष्ट किया गया है, वह 4953 एवं दस्तावेज तिथि 17 दिसंबर 1976 प्रदर्शित हो रहा है. ऑनलाइन पर जो दस्तावेज अपलोड किया गया है, उसमें दस्तावेज संख्या 8234 सन 1945 तारीख 16 अगस्त 1945 प्रदर्शित हो रहा है. जानकारों की मानें, तो सीओ को दाखिल-खारिज के लिए प्राप्त दस्तावेज का निबंधन कार्यालय से सत्यापित कराकर एवं वरीय पदाधिकारी से आदेश प्राप्त कर ही उपरोक्त जमीन का दाखिल खारिज करना चाहिए था. आरोप है कि यहां अंचलाधिकारी ने बिहार भूमि सुधार विभाग की सारी नियमावली को ताक पर रख कर यह दाखिल-खारिज कर दिया.

कर्मचारी की रिपोर्ट को भी देखिए

राजस्व कर्मचारी मुन्ना राम ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि प्रस्तावित भूमि की जमाबंदी सं०-10 जंग राय के खाता 40 नाम से पंजी 2 में चलती है, तथा खाता सं० 75 एवं 76 जमाबंदी सं० 44- 45 रामवृत्त राय के नाम से पंजी 2 में चलती है. प्रस्तावित भूमि रैयती खाते की है. खाता खेसरा रकबा की भूमि का मिलान राजस्व अभिलेख से किया गया है, जो सही है. भूमि गैर मजरुआ मालिक गैर मजरुआ आम केशरे हिन्द, सैरत बकास्त, मंदिर मस्जिद मठ धार्मिक न्यास व अन्य सार्वजनिक उपयोग से वंचित है. विक्रेता जंग राय स्वयं जमींदार हैं तथा रामवृत्त राय विक्रेता के भतीजा हैं. जमीन परती रूप एवं बटाई में दी है. दस्तावेज की सच्ची प्रतिलिपि प्राप्त है. अतः दाखिल-खारिज की स्वीकृति दी जा सकती है.

मरे हुए लोगों के नाम पर भी दाखिल-खारिज होता ही है : सीओ

जिस जमीन का दाखिल-खारिज हुआ है उसमें कोर्ट से रैयत को दखल-दहानी मिली है. मृतक के नाम से भी जमाबंदी होती है. उसके बेटे के द्वारा आवेदन दिया गया है. बाद में बेटे के नाम पर ट्रांसफर होगा. गलती एकमात्र हुई है कि डीड में 1945 के बदले 1976 दर्ज हो गया है. उसे मैं आज ही ठीक कर दूंगी. मेरे ही लॉग-इन से होगा. कमिश्नर के कोर्ट से उनको दखल-दहानी प्राप्त है.

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