गोपालगंज. लोक आस्था के पर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान मंगलवार को चैत्र शुक्ल तृतीया उपरांत चतुर्थी के दिन ”नहाय-खाय” के साथ शुरू हो गया. इस पर्व के पहले दिन व्रती स्नान कर सात्विक भोजन ग्रहण किया. परंपरा के अनुसार, चना दाल, कद्दू की सब्जी, अरवा चावल और आंवला की चासनी का प्रसाद तैयार कर ग्रहण किया. श्रद्धालु बेबी मिश्रा ने अपनी तैयारियों के बारे में बताया, “यह चार दिनों का त्योहार है. हमने छठ पूजा के लिए नहाय-खाय पूरा कर लिया है. हमने नारायणी नदी में स्नान किया और अब घर जाकर चावल, दाल और कद्दू की सब्जी को ग्रहण किया. यह पर्व हमारे लिए आस्था और परंपरा का प्रतीक है, जिसे हम पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं. सूर्य भगवान की उपासना के जरिये परिवार की समृद्धि और सुख-शांति की कामना की. शहर से लेकर गांव तक छठ को लेकर भक्तिमय माहौल बना हुआ है.
आज गुड़ से बनी खीर और रोटी से होगा खरना
दो अप्रैल को ”खरना” होगा, इसमें व्रती दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को गुड़ से बनी खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस प्रसाद को खाने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है. धार्मिक मान्यता है कि खरना के प्रसाद में ईख का कच्चा रस और गुड़ का सेवन आंखों की पीड़ा को दूर करने के साथ तेजस्विता, निरोगिता और बौद्धिक क्षमता को बढ़ाता है.चैती छठ बाजार पर महंगाई की मार
बाजारों में चैती छठ महापर्व को लेकर सूप, दउरा, हथिया, मिट्टी का चूल्हा, दीया, ढकनी का बाजार सज कर पूरी तरह तैयार है. शहर के मौनिया चौक, मेन रोड, बड़ी बाजार, थाना रोड में लोग जमकर चैती छठ के लिए खरीदारी कर रहे हैं. ग्राहक बता रहे हैं कि इस बार बाजार में महंगाई भी है. महंगाई के कारण जरूरत में कटौती कर काम चला रहे. जबकि जो दुकानदार हैं, उनका कहना है कि कार्तिक छठ की तुलना में चैत्र छठ कम लोग करते हैं, इसलिए लोग कम आ रहे हैं. छठ में प्राकृतिक वस्तुओं का विशेष महत्व होता है. इसलिए मिट्टी के बर्तन और मिट्टी से बने वस्तुओं का महत्व बढ़ जाता है. छठ के लिए खरीदारी करने बाजार में पहुंचे मनोज ने बताया कि उनकी पत्नी छठ करती हैं और वह कार्तिक और चैत दोनों छठ करती हैं. जो सामान कार्तिक छठ में खरीदा जाता है, वह सभी सामान चैत्र छठ में भी खरीदा जाता है. बाजार में इस बार महंगाई उन्हें नहीं दिख रही है सूप और दउरा पर भी महंगाई की मार दिखी. दो सौ से ढाई सौ रुपये में ढाका बेचा गया. छठ पर्व बहुत ही साफ-सफाई और शुद्धता का पर्व है और इसमें मिट्टी का सामान अधिक उपयोग होता है क्योंकि मिट्टी शुद्ध माना जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

