बरौली. नमी की कमी और मानसून के बारिश की आस लगाये बरौली शहर सहित पूरे ब्लॉक के किसान खेतों में धान का बीज डालने में पिछड़ रहे हैं. करीब दो सप्ताह पहले कुछ बारिश हुई थी, जिससे खेतों में नमी आई थी लेकिन अब वह नमी खेतों से गायब हो चुकी है. अब नमी की कमी से किसान धान की खेती के लिए पंपसेट से पटवन कर धान के बीज खेतों में गिरा रहे हैं. मौसम की मार से परेशान व बेबस किसान धान की खेती में कहीं पिछड़ न जाएं, यह सोचकर अपने बलबूते खेतों में धान का बीज डालने के काम में लग गये हैं. नतीजा है कि अब तक करीब 30 फीसदी किसान ही अपने खेतों में धान का बीज डाल पाये हैं. प्रखंड के किसान आग उगलते सूरज, भारी उमस और चिलचिलाती गर्मी की मार झेलते हुए जैसे-तैसे पंपसेट के सहारे हिम्मत कर अपने खेतों में धान का बीज डाल चुके बीजों को बचाने के लिए बोरिंग के पानी का सहारा लेकर आर्थिक मुसीबत का भी दंश झेल रहे है. वैसे किसान जो अब तक धान का बीज खेतों में नहीं डाल पाये हैं, वे मानसून की बारिश का इंतजार कर रहे हैं. अब तक जिस तरह से मौसम की बेरुखी और बादलों की आवाजाही बनी हुई है, अगर यह बेरुखी ऐसी ही बनी रही और मानसून मेहरबान नहीं हुआ तो किसानों को पानी खरीदकर धान की रोपनी करनी पड़ सकती है. इससे उनको इस साल की खेती में नुकसान होने से कोई नही बचा सकता, ऐसे में किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी हैं. फिलहाल मौसम का मिजाज कब बदल जाये, इस बारे में तो कुछ नही कहा जा सकता और अब तक की इसकी बेरुखी से किसानों का धान की खेती में इस साल पिछड़ना तय माना जा रहा है.
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