भोरे : भोरे में नवजात बच्चे के पेट को फाड़ने के बाद पूरा जिला सकते में है. भोरे के लिए यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पूर्व भी कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जिसमें डॉक्टरों ने मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया है. चाहे वह हुस्सेपुर में महिला के पेट में कैथेटर छोड़ने का मामला हो या फिर विजयीपुर में 24 घंटे में दो मरीजों की जान लेने का मामला. सभी मामले लगभग एक ही जैसे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई एक जैसी नहीं है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्यों विभाग ने ऐसे डॉक्टरों को खुली छूट दे रखा है. बता दें कि भोरे थाना क्षेत्र के हुस्सेपुर में रामनगर की एक महिला ने डॉ संतोष कुमार के क्लिनिक में अपना इलाज कराया था. इस दौरान डॉक्टर ने लापरवाही के कारण महिला के पेट में कैथेटर छोड़ दिया था.
कुछ माह बाद कैथेटर महिला का पेट फाड़ कर बाहर आ गया था. उसके बाद सजग हुए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने डॉक्टर पर प्राथमिकी दर्ज करते हुए नर्सिंग होम को सील कर दिया था, साथ ही महिला की जान ऑपरेशन कर बचाया गया था. इस मामले ने भी काफी तूल पकड़ा था. वहीं, अभी हाल ही में विजयीपुर में 24 घंटे के अंदर दो अलग-अलग नर्सिंग होमों में दो मरीजों की मौत हो गयी थी. दोनों मरीजों का ऑपरेशन किया गया था. इस मामले की जांच करने आयी स्वास्थ्य विभाग की टीम तब हैरत में पड़ गयी थी कि एक डॉक्टर के बंद क्लिनिक में महिला के ऑपरेशन के बाद पानी चढ़ाया जा रहा था.