गोपालगंज : दलित उत्पीड़न के तहत मौत होने या हत्या, मृत्यु, नरसंहार, डकैती के दौरान अनुसूचित जाति जनजाति के मुखिया की हत्या हो जाये, तो उसके आश्रित को सरकार की तरफ से साढ़े चार हजार प्रति माह की पेंशन दी जायेगी. इसके अलावे 90 हजार से लेकर दो लाख तक का मुआवजा भी दिया जाता […]
गोपालगंज : दलित उत्पीड़न के तहत मौत होने या हत्या, मृत्यु, नरसंहार, डकैती के दौरान अनुसूचित जाति जनजाति के मुखिया की हत्या हो जाये, तो उसके आश्रित को सरकार की तरफ से साढ़े चार हजार प्रति माह की पेंशन दी जायेगी. इसके अलावे 90 हजार से लेकर दो लाख तक का मुआवजा भी दिया जाता है.
सरकार ने दलित और महादलित परिवार को पेंशन की राशि से जीवनयापन करने की व्यवस्था की है. इस योजना के तहत जिले के पांच ऐसे परिवार का चयन किया गया है, जिनकी मौत डकैती या झड़प के दौरान हुई है. उनके आश्रिातों को प्रतिमाह पेंशन की राशि उनके बैंक एकाउंट में सीधे भेजा जा रहा. सरकार का उद्देश्य है कि समाज के मुख्य धारा से इन्हें जोड़ा जा सके.
दलित उत्पीड़न के शिकार हुए परिवार के मामले में पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर जिला अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण कमेटी के फैसले पर ही मुआवजा या पेंशन की राशि की स्वीकृति सरकार की तरफ से प्राप्त होगी. कल्याण विभाग के द्वारा दलितों के लिए राशि का आवंटन किया जाता है.
गुरुवार को दलित उत्पीड़न के शिकार आठ पीड़ितों को 1.8 लाख रुपये के मुआवजे की राशि का आवंटन किया गया. इसके लिए अपर समाहर्ता जगदीश नारायण सिंह की अध्यक्षता में आयोजित कमेटी की बैठक में पुलिस की रिपोर्ट और कोर्ट में चल रहे मुकदमों की स्थिति की समीक्षा करने के पश्चात दलित उत्पीड़न के आठ केस को सत्य पाते हुए उन्हें मुआवजे की राशि दी गयी. जबकि वर्ष 2002-2015 तक के पांच ऐसे परिजनों को पेंशन की राशि की स्वीकृति मिली. जिनके परिवार की मुखिया की हत्या विभिन्न मामलों में हो चुकी थी.
इस मौके पर जिला कल्याण पदाधिकारी कृष्ण मोहन, सदस्य एवं जदयू के दलित प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष ललन मांझी, सरकारी वकील हरीश चंद यादव आदि मौजूद थे.