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गंभीर आरोपों में हटाये गये मुखिया-उपमुखिया किसी पद पर नहीं लड़ेंगे चुनाव

गंभीर आरोपों में हटाये गये मुखिया-उपमुखिया किसी पद पर नहीं लड़ेंगे चुनाव20 मुखियों के खिलाफ आरोप अभी तक लंबित संवाददाता, पटनागंभीर आरोपों में हटाये गये मुखिया-उपमुखिया इस बार पंचायत चुनाव में किसी भी पद के लिए नहीं लड़ सकते हैं. राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव 2016 में मुखिया सहित अन्य सभी पदों के उम्मीदवारों से […]

गंभीर आरोपों में हटाये गये मुखिया-उपमुखिया किसी पद पर नहीं लड़ेंगे चुनाव20 मुखियों के खिलाफ आरोप अभी तक लंबित संवाददाता, पटनागंभीर आरोपों में हटाये गये मुखिया-उपमुखिया इस बार पंचायत चुनाव में किसी भी पद के लिए नहीं लड़ सकते हैं. राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव 2016 में मुखिया सहित अन्य सभी पदों के उम्मीदवारों से यह घोषणा करा लेगा कि उन पर कौन-कौन गंभीर आरोप हैं. किसी गंभीर आरोप में उनको हटाया तो नहीं गया है. इधर पंचायती राज विभाग के पास विभिन्न जिलों के 20 मुखियाओं पर आरोप लंबित हैं. विभिन्न जिलों के डीएम ने संबंधित मुखिया के खिलाफ आरोप पत्र गठित कर सरकार के पास भेजा था. पंचायती राज विभाग के पास वैशाली, शेखपुरा, मुंगेर, सारण, सुपौल, मधुबनी, नालंदा और भोजपुर के डीएम ने मुखिया के खिलाफ आरोप लगा कर सुनवाई के लिए भेजा था. विभाग ने दिसंबर 2014 में विधानमंडल सत्र आहूत होने का जिक्र करते हुए सभी डीएम को मुखिया के खिलाफ आरोपों की सुनवाई स्थगित करने का निर्देश दिया था. साथ ही यह भी निर्देश दिया था कि सुनवाई की अगली तिथि की सूचना बाद में दी जायेगी. तब से यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है. जिन जिलों के मुखियाओं पर कार्रवाई को लेकर रोक लगायी गयी है. इनमें वैशाली के बिदुपुर प्रखंड़ की मथुराचक पंचायत की मुखिया रीता देवी, शेखपुरा के अरियारी प्रखंड की ऐफनी पंचायत की मुखिया राजयति देवी, मुंगेर जिले की पड़भारा पंचायत के मुखिया जय किशोर प्रसाद यादव व ददरीजाला पंचायत के मुखिया कृष्ण कुमार, सारण की निपनियां पंचायत के मुखिया राम प्रकाश दास ततवा, सुपौल की शाहपुर पृथ्वीपट्टी पंचायत की मुखिया श्यामावती देवी, मुरली पंचायत के मुखिया विजेंद्र प्रसाद यादव, सरायगढ़ पंचायत के मुखिया जगदेव पंडिंत, ढोली पंचायत के मुखिया सुरेश प्रसाद सिंह, बैगनिया पंचायत की मुखिया संगीता देवी, चांदपीपर पंचायत के मुखिया उपेंद्र प्रसाद यादव, लालगंज पंचायत के रामनंदन यादव, छिटही हनुमान पंचायत की रेणु देवी, झिल्ली डुमरी पंचायत की नूरजहां बेगम व भपटियाही पंचायत की मुखिया सुनीता देवी शामिल हैं. इसी तरह मधुबनी जिले की रामनगर पंचायत की मुखिया गीता देवी, पंचायत की किरण देवी व सिसौना पंचायत के मुखिया महेंद्र राम, भोजपुर की खजुरिया पंचायत के मुखिया संतोष कुमार और नालंदा की पावाडीह पंचायत के मुखिया सत्येंद्र कुमार के नाम शामिल हैं. इस तरह के आरोपों से घिरे मुखिया को हटाने का निर्णय होता है, तो उनको पांच साल तक किसी भी पद के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लग जायेगी. क्या है नियम बिहार पंचायती राज अधिनियम 2006 की धारा 18 (5) में किसी भी मुखिया या उप मुखिया पर अगर गंभीर आरोप में हटते हैं, तो उनके चुनाव पर रोक लगा दी जायेगी. – बिना समुचित कारण के तीन लगातार बैठकों में अनुपस्थित रहना – अपने कर्तव्यों को करने से इनकार करना या उपेक्षा करना – पद की शक्तियों का दुरुपयोग करना – कर्तव्य के निर्वहन में दुराचार का दोषी पाया जाना – विधि द्वारा स्थापित प्राधिकार के आदेश की अवज्ञा करना – कर्तव्य करने में शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम होना- आपराधिक मामले में अभियुक्त होने पर छह माह से फरार होना कोटकिसी भी मुखिया को एक्ट के तहत हटाना सरकार का अधिकार है. पंचायत चुनाव में हर उम्मीदवार से घोषणा पत्र ले लिया जाता है कि उन पर क्या-क्या गंभीर आरोप हैं. अगर कोई प्रत्याशी गलत घोषणा करता है और इसकी जानकारी मिलती है, तो आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई करेगा. – अशोक कुमार चौहान, राज्य निर्वाचन आयुक्त

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