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26/11 के पीडि़डतों के जख्म अब भी हैं हरे

फोटो 14- 26/11 की घटना के चश्मदीद.हथुआ. 26 नवंबर, 2008 को हुए मुंबई के आतंकी हमले का दर्द आज भी हथुआ के दो परिवारों में हरे हैं. हथुआ प्रखंड के कुसौंधी पंचायत अंतर्गत खुशियाल छापर गांव का युवक अवधेश पंडित आतंकवादियों की गोलियों से छलनी होकर अपनी जान गवा बैठा था. वहीं, खनसामा टोला गांव […]

फोटो 14- 26/11 की घटना के चश्मदीद.हथुआ. 26 नवंबर, 2008 को हुए मुंबई के आतंकी हमले का दर्द आज भी हथुआ के दो परिवारों में हरे हैं. हथुआ प्रखंड के कुसौंधी पंचायत अंतर्गत खुशियाल छापर गांव का युवक अवधेश पंडित आतंकवादियों की गोलियों से छलनी होकर अपनी जान गवा बैठा था. वहीं, खनसामा टोला गांव का मेराज आलम आतंकवादियों की गोली से बुरी तरह जख्मी हो गया था. सात दिन तक अस्पताल में रहने के बाद मेराज को होश तो आ गया, लेकिन उसकी जिंदगी अब पूरी तरह नारकीय हो गयी है. मेराज न कुछ बोलता है और न ही घर से बाहर निकलता है. आज भी वह गोरखपुर में इलाजरत है. डॉक्टरों ने उसे पूरी जिंदगी दवा खाने की सलाह दी है. मेराज बकरीद की छुट्टी मनाने के लिए मुंबई से हथुआ आ रहा था, तभी सीएसटी रेलवे स्टेशन पर आतंकवादियों की गोली का शिकार हो गया. वहीं, खुशीयाल छापर गांव का अवधेश पंडित हमले में उस वक्त मारा गया, जब वह अपने दोस्त को छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन पर आया था. अवधेश की पत्नी रीता देवी को रेलवे ने मुआवजा स्वरूप 20 लाख रुपये एवं रेलवे में चतुर्थवर्गीय नौकरी दी थी. मेराज का भाई सेराज आजम कहता है कि आतंकवादियों की करतूत से उसके भाई की जिंदगी तबाह हो गयी है.

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