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गोपालगंज : पोस्टमार्टम हाउस के लिए नहीं मिल रही जमीन

गोविंद कुमार, गोपालगंज : गोपालगंज जिले में पोस्टमार्टम हाउस बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को जमीन नहीं मिल रही है. विभाग में पिछले पांच वर्षों से राशि पड़ी हुई है. बीएमसी के अभियंताओं ने सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम हाउस के लिए जमीन का चयन किया था, लेकिन आसपास के लोगों के विरोध के कारण काम […]

गोविंद कुमार, गोपालगंज : गोपालगंज जिले में पोस्टमार्टम हाउस बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को जमीन नहीं मिल रही है. विभाग में पिछले पांच वर्षों से राशि पड़ी हुई है. बीएमसी के अभियंताओं ने सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम हाउस के लिए जमीन का चयन किया था, लेकिन आसपास के लोगों के विरोध के कारण काम चालू नहीं हो सका है.

इसके पूर्व अभियंताओं की टीम ने जर्जर पोस्टमार्टम हाउस के पास खाली पड़ी जमीन का जायजा लिया था, लेकिन यह जमीन पोस्टमार्टम हाउस के लिए पर्याप्त नहीं निकली. पोस्टमार्टम हाउस बनाने के लिए उक्त जमीन कम पड़ी.
अभियंताओं ने बताया कि पोस्टमार्टम हाउस के साथ डॉक्टर के लिए चैंबर, पुलिस के लिए अलग चैंबर, परिजनों के लिए वेटिंग रूम, डेथ बॉडी रखने के लिए एयर कंडीशन रूम आदि बनाने की जरूरत पड़ेगी. इसलिए करीब 3500 स्क्वायर फुट जमीन की जरूरत है. इधर, पोस्टमार्टम हाउस के लिए जमीन उपलब्ध नहीं होने तक पुराने जर्जर भवन में ही डॉक्टरों को पोस्टमार्टम करनी होगी. तबतक के लिए जर्जर भवन की मरम्मत व बिजली की व्यवस्था करा दी गयी है.
विसरा रखने के लिए भी भवन नहीं
पोस्टमार्टम के बाद बेसरा जांच के लिए अहम पार्ट माना जाता है. लेकिन, स्वास्थ्य विभाग के पास बेसरा रखने के लिए भी भवन नहीं है. सदर अस्पताल परिसर के कोने में जैसे-तैसे विसरा रखा जाता था, लेकिन अब थानों को भेजा जा रहा है जिससे विसरा बदलने और गायब होने की आशंका भी रहती है.
डॉक्टरों को रात में पोस्टमार्टम करने में सबसे अधिक परेशानी होती है. पहले तो इमरजेंसी में ही रात में पोस्टमार्टम किया जाता था, लेकिन नये सिविल सर्जन के आने के बाद इमरजेंसी में पोस्टमार्टम करने पर रोक लगा दी गयी. इसके कारण रात में शव का पोस्टमार्टम जर्जर भवन में ही हो रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि लाइट और अन्य सुविधाएं नहीं होने के कारण परेशानी हो रही है.

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