डुमरांव : दानापुर-बक्सर रेलखंड के डुमरांव रेलवे स्टेशन पर आये दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं. 15 दिनों में इस स्टेशन के आसपास ट्रेन की चपेट में आने से पांच लोगों की मौत हो गयी, जबकि चार अन्य चोटिल हो गये.
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डुमरांव स्टेशन पर उपचार की नहीं है सुविधा
डुमरांव : दानापुर-बक्सर रेलखंड के डुमरांव रेलवे स्टेशन पर आये दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं. 15 दिनों में इस स्टेशन के आसपास ट्रेन की चपेट में आने से पांच लोगों की मौत हो गयी, जबकि चार अन्य चोटिल हो गये. रेल विभाग ने इस स्टेशन को बी ग्रेड स्टेशनों में शामिल किया है. बावजूद यात्रियों […]
रेल विभाग ने इस स्टेशन को बी ग्रेड स्टेशनों में शामिल किया है. बावजूद यात्रियों की सुरक्षा के प्रति विभाग बेखबर बना है. इस स्टेशन पर न एंबुलेंस की सुविधा है और न ही फर्स्ट एड की. ऐसी हालत में गंभीर रूप से जख्मियों को अस्पताल पहुंचाने में रेल पुलिस की मुश्किलें बढ़ जाती हैं.
बताया जाता है कि रघुनाथपुर से बक्सर रेलवे स्टेशन के बीच उपचार की बेहतर सुविधा नहीं है. साथ ही बक्सर के रेलवे अस्पताल में भी कोई सुविधा नहीं है जिससे गंभीर रूप से जख्मियों को राहत मिल सके. लोगों का कहना है कि हर दिन कोई- न- कोई यात्री ट्रेन की चपेट में आकर चोटिल होता है, जिसका इलाज समय पर नहीं होने से जान तक भी गंवानी पड़ती है.
सामाजिक लोग रहते हैं तत्पर: रेलवे स्टेशन पर हादसे की खबर मिलने के बाद स्थानीय स्टेशन के आसपास रहने वाले समाजसेवी सहायता के लिए दौड़ पड़ते हैं. यात्री कल्याण समिति के अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह जख्मियों के इलाज के लिए अपना सबकुछ लगाते हैं.
अस्पताल ले जाने के लिए वाहन, दवा और गंभीर रोगियों के परिजनों को सूचना भेजवाने तक भी काम स्वयं करते हैं. श्री सिंह ने बताया कि कई बार एंबुलेंस के अभाव में निजी वाहनों से जख्मी को अस्पताल पहुंचाने में उसकी सांसें टूट जाती हैं. इस स्टेशन पर हर दिन करीब 10 हजार यात्रियों का आवागमन होता है लेकिन सुविधा नदारद है.
कभी-कभार खुलता है फर्स्ट एड बॉक्स : यात्री कल्याण समिति की माने तो चिकित्सा सुविधा के नाम पर फर्स्ट एड एक छोटा-सा बॉक्स पैनल रूम में रखा गया है ताकि अधिकारियों के आने पर उनकी नजरें इस पर टिकी रहे. जानकार बताते है कि फर्स्ट एड बॉक्स में बैंडेज है तो रूई नहीं, रूई है तो दवा नहीं.
इस परिस्थिति में जख्मी का प्राथमिक उपचार करना मुश्किल होता है जबकि डुमरांव स्टेशन से अनुमंडल अस्पताल की दूरी तीन किलोमीटर है और दुर्घटना के बाद एसएम एस कुमार द्वारा जीआरपी को मेमो देना पड़ता है. इस प्रक्रिया में घंटों गुजर जाते है.ं इस मामले में स्टेशन प्रबंधक ने बताया कि डुमरांव स्टेशन पर प्राथमिक उपचार के साथ वाहन सुविधा देने के लिए विभाग को अवगत कराया गया है.
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