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थानों में प्राथमिकी दर्ज करने से कतराती है पुलिस
गोपालगंज : ईश्वर न करे आप के साथ किसी तरह की वारदात हो. वर्ना पुलिस मदद तो दूर कांड की प्राथमिकी तक दर्ज नहीं करेगी. हाल के दिनों में पुलिस का यह ट्रेड आम आदमी पर भारी पड़ रहा है. पुलिस कांड को पंजीकृत नहीं कर वरीय अधिकारियों की नजर में अपराध मुक्त थाना बनाने […]
गोपालगंज : ईश्वर न करे आप के साथ किसी तरह की वारदात हो. वर्ना पुलिस मदद तो दूर कांड की प्राथमिकी तक दर्ज नहीं करेगी. हाल के दिनों में पुलिस का यह ट्रेड आम आदमी पर भारी पड़ रहा है.
पुलिस कांड को पंजीकृत नहीं कर वरीय अधिकारियों की नजर में अपराध मुक्त थाना बनाने में पीठ थपथपा रही है, जबकि आम आदमी घटना के बाद प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए चक्कर काट रहा है. वैसे तो थाने से प्रतिदिन दो-चार पीड़ितों को भगाया जा रहा है. प्राथमिकी दर्ज नहीं होने से जिला स्तर पर अपराध का आंकड़ा जरूर घटा है, लेकिन अपराधियों का मनोबल तेजी से बढ़ रहा है.
कारण स्पष्ट है, कांड की जब प्राथमिकी दर्ज नहीं होगी, तो अनुसंधान नहीं होगा और इसका लाभ सीधा अपराधी उठा रहे हैं. थाने में कांड दर्ज नहीं होने पर कुछ लोग कोर्ट में मुकदमा दाखिल कर रहे हैं. कोर्ट में सुनवाई और साक्ष्य उपलब्ध कराने में समय लगा रहा है. तब तक वारदात में शामिल अपराधी अपने प्रभाव का प्रयोग करने में सफल रहते हैं. यहां तक कि गवाहों को भी मुकरने पर बाध्य कर देते हैं.
पीड़ित से होता है अपराधी जैसा सलूक
अपराध की घटना के बाद थाने में सूचना लेकर जब पीड़ित पहुंचते हैं, तो पुलिस के अधिकारी उनसे अपराधी की तरह पूछताछ करने लगते हैं. पुलिस के हर सवाल का सही तरीके से जवाब देना होता है. नहीं जवाब देने पर थानों से भगा दिया जाता है. उसके बाद पीड़ित का मनोबल आधा टूट जाता है. चोरी, लूट, मारपीट, घरेलू हिंसा जैसे मामलों में पुलिस कांड दर्ज करने से कतरा रही है.
पुलिस बाइक चोरी, घरों में चोरी की घटना में प्राथमिकी दर्ज करने की जगह सनहा दर्ज कर छोड़ दे रही है. अगर कोई कागजात गुम हो जाये, कोई सामान खो जाये, साइकिल चोरी हो जाये, तो पुलिस सनहा भी दर्ज करने में कतराती है. सनहा दर्ज कराने के लिए भी पैरवी और पहुंच की जरूरत पड़ रही है.
आपराधिक घटनाओं में एफआईआर के लिए चक्कर लगा रहे पीड़ित
केस स्टडी- 1
थानेदार समेत दो पुलिस अधिकारी हुए सस्पेंड
यूपी के कुशीनगर जिले के अहिरौलीदान के रंजीत सिंह मुजफ्फरपुर ट्रैक्टर खरीदने गये थे. चार जून को घर लौटने के दौरान चैनपट्टी के समीप अपराधियों ने पिस्तौल का भय दिखा कर डेढ़ लाख रुपये लूट लिये. प्राथमिकी दर्ज कराने नगर थाना पहुंचे. पुलिस ने इस मामले में रंजीत सिंह के आवेदन लेने के बाद प्राथमिकी दर्ज नहीं की. रंजीत सिंह ने एसपी समेत कई लोगों को आवेदन दिया. बीच में लूट की राशि बरामद हुई.
रंजीत सिंह को बुलाया गया तथा 70 हजार रुपये पुलिस ने दे दिये. फिर भी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई. इस मामले में पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडेय ने 10 अगस्त को डीजीपी को प्राथमिकी दर्ज नहीं होने की शिकायत की. काली पांडेय की शिकायत पर आनन-फानन में पुलिस ने शिकायत दर्ज की. डीजीपी के आदेश पर मामले की जांच हुई. आरोप सत्य पाया गया. तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर निगम कुमार वर्मा सहित दो अधिकारी निलंबित हुए.
केस स्टडी- 2
केस स्टडी- 3
भोरे थाना क्षेत्र के लक्ष्मीपुर गांव में छह सितंबर को ताज मोहम्मद का पुत्र शरीफ अंसारी शौच के लिए गया था, तभी कुछ लोगों ने उसका अपहरण कर लिया. इसकी शिकायत पीड़ित ने स्थानीय थाने में की थी. उसके बाद गत 25 सितंबर को पीड़ित भतीजा शौच के लिए गया, तो उसका भी अपहरण कर लिया गया. इसी बीच उसका पुत्र बेहोशी की हालत में पेट्रोल पंप के पास मिला, जिसका स्थानीय अस्पताल में इलाज कराया गया. होश में आने के बाद उसने पूरा मामला पुलिस के सामने बयान किया. पुलिस ने बयान लेने के बाद प्राथमिकी दर्ज नहीं की. अंतत: ताज मोहम्मद ने सीजेएम कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया है.
पीड़ित अगर शिकायत लेकर पहुंचता है, तो तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू हो जाये, तो अपराध स्वत: कम होगा. पुलिस का बदलता ट्रेड आम लोगों के लिए परेशानी खड़ा कर रहा है. इससे अपराध घटने की जगह बढ़ रहा है. लोगों को न्याय भी पुलिस नहीं दिलवा पा रही है. पुलिस अपने मूल उद्देश्यों से भटकती हुई नजर आ रही है. पीपुल्स फ्रेंडली का दावा झूठा साबित हो रहा है.
शैलेश तिवारी, अध्यक्ष विधिज्ञ संघ गोपालगंज
क्या कहते हैं एसपी
थाने में अगर प्राथमिकी दर्ज नहीं हो रही, तो इसकी शिकायत मिलने पर तत्काल कार्रवाई होगी. पुलिस का काम है शिकायत आने पर उसे पंजीकृत कर जांच करनी है. अनुसंधान में आरोप अगर झूठा निकलता है, तो शिकायतकर्ता पर भी कार्रवाई का प्रावधान है.
विभाष कुमार, डीएसपी, गोपालगंज
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