36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

बिहार: प्रणब मुखर्जी ने क्यों माफ कर दी थी तीन दर्जन सवर्णों के नरसंहार करने वालों की फांसी?, कारण का हुआ खुलासा…

तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल के दौरान 30 दया याचिकाओं को रिजेक्ट किया था और चार को मंजूरी दी थी. इसमें एक बिहार के बारा नरसंहार से जुड़ा मामला भी था. उन्होंने इस नरसंहार में फांसी की सजा पाये चार आरोपितों की सजा उम्र कैद में बदल दी थी. इस निर्णय के पीछे मुखर्जी ने व्यक्तिगत भावना के बजाय तथ्य और अपराध करने के समय आरोपितों की मन:स्थिति पर ज्यादा ध्यान दिया था. इस बात का जिक्र उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘द प्रेसिडेंसियल इयर्स ‘ में किया है.

संजय सिंह पटना: तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल के दौरान 30 दया याचिकाओं को रिजेक्ट किया था और चार को मंजूरी दी थी. इसमें एक बिहार के बारा नरसंहार से जुड़ा मामला भी था. उन्होंने इस नरसंहार में फांसी की सजा पाये चार आरोपितों की सजा उम्र कैद में बदल दी थी. इस निर्णय के पीछे मुखर्जी ने व्यक्तिगत भावना के बजाय तथ्य और अपराध करने के समय आरोपितों की मन:स्थिति पर ज्यादा ध्यान दिया था. इस बात का जिक्र उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘द प्रेसिडेंसियल इयर्स ‘ में किया है.

इस पुस्तक के चैप्टर डिलिंग विद मर्सी पिटिशन:

ह्यूमन एंड लीगल आस्पेक्ट में दया याचिकाओं के बारे में लिये गये अपने फैसले के बारे में विस्तार से बताया है. उन्होंने लिखा है कि मैंने एक महत्वपूर्ण केस में दया याचिका को स्वीकार किया था. वह मामला बिहार के बारा नरसंहार से जुड़ा था. फरवरी 1992 में हथियारबंद लोगों ने बिहार के गया जिले के बारा गांव में ऊंची जाति के करीब तीन दर्जन ग्रामीणों की क्रूरता से हत्या कर दी थी. एक नहर के किनारे इन लोगों को बेरहमी के साथ मार दिया गया था. उनके हाथ बंधे हुए थे. इस कांड में 36 लोग आरोपित थे. लेकिन 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी थी

2001 में सत्र न्यायालय ने इनमें से नौ को दोषी करार दिया और दोषियों में चार को फांसी की सजा सुनायी. 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी. यह मुद्दा दलितों से जुड़ा था और यह नरसंहार उस अत्याचार का एक प्रकार से प्रतिकार था जो उस समुदाय के लोगों पर दूसरे लोगों ने किया था.

Also Read: Bihar Weather News: बिहार में अभी ठंड से राहत नहीं, अगले तीन दिनों तक जारी रहेगी ठिठुरन, तापमान में आएगी गिरावट
प्रणब ने लिखा…

प्रणब ने लिखा है कि पूरे मामले को विस्तार से समझा और कोर्ट की कार्यवाही व फैसले को पढ़ा. इस केस ने मुझ पर गहरा प्रभाव छोड़ा था. पर जैसा कि मैंने अन्य मामलों में किया, मेरा मानना है कि व्यक्तिगत भावनाएं, तथ्यों पर पर्दा न डाले और निर्णय को प्रभावित नहीं करे. मैंने दया याचिका स्वीकार कर ली. इन चारों दोषियों की फांसी की सजा बदल दी क्योंकि मैंने पाया कि ये हत्यारे एक अलग अपवाद स्वरूप मन:स्थिति में थे. कोर्ट का भी यह आर्ब्जवेशन था.

दोषियों में एक युवा भी…

इन दोषियों में एक युवा भी था और कोर्ट भी सामान्यत: फांसी की सजा देते समय उम्र संबंधी मामले को देखता है. बारा नरसंहार के आरोपित नन्हेलाल मोची, कृष्ष्णा मोची, बीर कुंवर और धर्मेद्र सिंह को लोअर कोर्ट से फांसी की सजा हुई थी. फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी बहाल रखा. इसके बाद इन्होंने दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी थी.

वेंकट रमण के बाद प्रणब ने सबसे अधिक याचिकाएं खारिज कीं

पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकट रमण के बाद प्रणब मुखर्जी सबसे अधिक दया याचिकाएं नामंजूर करने वाले राष्ट्रपति हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल में 30 दया याचिकाएं खारिज कीं जबकि चार को स्वीकार किया था. वेंकट रमण ने सबसे अधिक 45 दया याचिकाएं ठुकरायी थीं. प्रणब मुखर्जी के उत्तराधिकारी रामनाथ गोविंद को एक भी पेंडिंग दया याचिकाएं नहीं मिलीं जबकि प्रणब मुखर्जी ने 25 जुलाई 2012 को राष्ट्रपति का पद संभाला,तो उन्हें दस पेंडिंग दया याचिकाएं मिली थीं. जिसमें एक केआर नारायणन ( कार्यकाल 1997 से 2002) के समय का था. वह अपने कार्यकाल में एक भी दया याचिक पर फैसला नहीं ले सके थे.

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने दो दया याचिकओं पर फैसला लिया

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने दो दया याचिकओं पर फैसला लिया. इसमें एक को स्वीकार किया और दूसरे को ठुकरा दिया था. वहीं प्रतिभा एस पाटिल (कार्यकाल 2007 से 2012) 34 दया याचिकाओं के स्वीकार किया था और पांच को रिजेक्ट कर दिया था. वह राजेंद्र प्रसाद और राधाकृष्ष्णन के बाद सबसे अधिक मर्जी पिटिशन स्वीकार करने वाली राष्ट्रपति थीं. राजेंद्र प्रसाद ने 180 और राधाकृष्ष्णन ने 57 दया याचिकाएं स्वीकार की थीं.

Posted By :Thakur Shaktilochan

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें