टिकारी. प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत अमरपुर गांव में विष्णु महायज्ञ श्रीराम कथा के छठे दिन दूर-दूर से आये हुए हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान राम कथा का आनंद लिया. रविवार की शाम प्रवचन के दौरान अयोध्या से पधारे कथावाचक डॉ रामकृष्ण सजीवन जी महाराज ने माता सीता स्वयंवर व भगवान राम के वन गमन पर प्रकाश डाला. स्वामी जी ने बताया कि जिस धनुष को बड़े-बड़े शूरवीर हिला भी नहीं पाए, वह धनुष भगवान राम के हाथों में आते हीं टूट गया. भगवान परशुराम के क्रोधित होने पर भी उन्होंने शांत चित से उनके गुस्से को ठंडा कर दिया. उन्होंने कभी भी अपनी शक्ति का अहंकार नहीं दिखाया. जिस दौर में एक से अधिक पत्नी रखना राजा की शान का प्रतीक हुआ करता था, उस दौर में भगवान राम ने एक पत्नी रखकर नारी धर्म का मान बढ़ाया. भगवान राम के राज्याभिषेक की सारी तैयारी हो चुकी थी. लेकिन, पिता के वचनों का मान रखने के लिए अयोध्या का राज सिंहासन को त्याग कर वन में जाना स्वीकार कर दिया. त्याग मनुष्य को महान बनाता है. हमें भी अपने जीवन में त्याग करने में पीछे नहीं हटना चाहिए. भगवान राम ने एक आदर्श पुत्र का उदाहरण पेश किया. भगवान राम ने पुत्र, भाई, पति और मित्र हर रूप में एक आदर्श को स्थापित किया. हमें अपने बच्चों को बचपन से राम कथा सुनानी चाहिए.
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