फोटो-प्रतिनिधि,वजीरगंजपर्वत पुरुष स्वर्गीय दशरथ मांझी बुद्ध, आंबेडकर के बाद विश्व के तीसरे आदर्श हैं. उन्होंने बाबा साहब व महात्मा बुद्ध के कदमोंं का अनुकरण कर भाग्यवाद से हट कर कर्म की प्रधानता दी. हम उनकी पूजा करते है. ये बातें मंगलवार को वजीरगंज के बलजोरी बिगहा महादलित बस्ती में न्यूजीलैंड से आये धम्मचारी आंचल ने अपने संबोधन में कही. वे बोधगया के त्रिरत्ना बौध महोत्सव के बैनर तले हसरा पहाड़ी की श्रृंखला में बसे उक्त गांव में पर्वत पुरुष दशरथ मांझी के कर्म स्थली व बुद्ध कालीन अवशेषों का अध्ययन करने आये थे. झार – झुरमुट में बसे इस गांव के ग्रामीणों से मिल कर खुशी का इजहार करते हुए उन्होंने कहा कि बाबा साहब अपने जीवन में बड़ी – बड़ी कठिनाइयों को झेलकर ऊंची शिक्षा प्राप्त किया. उसी प्रकार आप भी अपने बच्चों को अधिक से अधिक पढ़ाई करवाएं. बाबा साहब ने अपनी पढ़ाई हमारी – तुम्हारी भलाई और समाज में समानता लाने के लिए किया. वे जाति विहीन समाज के समर्थक थे. ऊंचे – नीच , छुआ – छूत , अंध श्रधा आदि कुरितियों के विरुद्ध उन्होंने समाज को संदेश दिया. ग्रामीणों को प्रोत्साहन के लिए गांव के प्राथमिक विद्यालय में बच्चों व शिक्षकों से मिल कर अच्छी शिक्षा ग्रहण करने का संदेश दिया. उनके साथ इंग्लैंड के धंमचारी अर्थबंधु , भुसावर के बुद्धबज्र व त्रिरत्ना संेटर के धम्ममित्र आलोक मौर्य , रंजन जी , बाल्मीकि मांझी व अन्य लोग शामिल थे. बलजोरी बिगहा भ्रमण के बाद धम्मचारीयों ने दशरथ मांझी के गांव व गेहलौर घाटी को तोड़ कर बनाये गये रास्ते को भी देखा तथा बलजोरी बिगहा में पर्वत पुरुष स्वर्गीय मांझी व बुद्ध और आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया.
बाबा साहब जाति विहीन समाज का निर्माण चाहते थे :आंचल
फोटो-प्रतिनिधि,वजीरगंजपर्वत पुरुष स्वर्गीय दशरथ मांझी बुद्ध, आंबेडकर के बाद विश्व के तीसरे आदर्श हैं. उन्होंने बाबा साहब व महात्मा बुद्ध के कदमोंं का अनुकरण कर भाग्यवाद से हट कर कर्म की प्रधानता दी. हम उनकी पूजा करते है. ये बातें मंगलवार को वजीरगंज के बलजोरी बिगहा महादलित बस्ती में न्यूजीलैंड से आये धम्मचारी आंचल ने […]
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