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पितृपक्ष मेला : बिहार के गया में 40 हजार तीर्थयात्रियों ने किये पिंडदान व तर्पण

परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला ने किया बस सेवा का उद्घाटनगया : पितृपक्ष मेले के पहले दिन 40 हजार तीर्थयात्रियों ने देवघाट पर पिंडदान व फल्गु नदी में तर्पण किया. 17 दिवसीय श्राद्ध कार्य के लिए गयाजी पहुंचे श्रद्धालु पहले दिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी के दिन गुरुवार काे पुनपुन नदी में पिंडदान व तर्पण […]

परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला ने किया बस सेवा का उद्घाटन
गया : पितृपक्ष मेले के पहले दिन 40 हजार तीर्थयात्रियों ने देवघाट पर पिंडदान व फल्गु नदी में तर्पण किया. 17 दिवसीय श्राद्ध कार्य के लिए गयाजी पहुंचे श्रद्धालु पहले दिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी के दिन गुरुवार काे पुनपुन नदी में पिंडदान व तर्पण के साथ शुरुआत की. शुक्रवार काे गयाजी में पिंडदान व तर्पण किया. शनिवार यानी आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा के दिन प्रेतशिला जाकर पिंडदान व ब्रह्मकुंड में तर्पण करेंगे.

वहीं, शहर में चलनेवाली सिटी रिंग बस सेवा का उद्घाटन परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला ने शुक्रवार को विष्णुपद मंदिर के पास से किया. इस मौके पर मंत्री ने कहा कि पितृपक्ष मेले के अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से आये हुए श्रद्धालुओं को सुलभ, सस्ती और सुरक्षित परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी परिवहन विभाग की है.

कभी थीं 365 पिंडवेदियां, अब सिर्फ 45 वेदियां व सराेवर : गया में 365 पिंडवेदियां व सराेवर थे, जहां पहले सालाेंभर रह कर हर राेज एक-एक जगह पिंडदान व तर्पण का विधान था. लेकिन, बदलते परिवेश आैर अतिक्रमण या अन्य कारणाें से पिंडवेदियां व सराेवर विलुप्त हाे गये.

फिलहाल 45 पिंडवेदियां व सराेवर बचे हैं, जहां वर्तमान में पिंडदान व तर्पण हाेता है. जिन श्रद्धालुआें के पास समय आैर धन दाेनाें हैं आैर अपने पितराें के प्रति अगाध श्रद्धा है, वह गयाजी में 17 दिनाें तक रह कर पिंडदान व तर्पण करते हैं.

रूस की दो महिलाओं ने किया पिंडदान

पितृपक्ष के शुरू होते ही शुक्रवार को रूस से आयी दो महिलाओं ने पिंडदान किया. जूलिया कुदरिना व इस्लामोभा वेनिरा नाम की इन दोनों महिलाओं ने विष्णुपद मंदिर प्रांगण में पूरे विधि-विधान के साथ पिंडदान किया. रूस से आयीं इन महिलाओं ने कहा कि रूस के लोग भारत के वैदिक धर्म से बहुत प्रभावित हैं. वहां भी लोग मानते हैं कि पितरों की आत्मा की शांति और प्रेत-बाधाओं से मुक्ति के लिए पिंडदान अत्यंत आवश्यक है.

यही कारण है कि विदेशियों में भी अपने पितरों के लिए पिंडदान करने के प्रति विश्वास बढ़ा है. महिलाओं ने कहा कि उनके देश में लोग इस पर जब अध्ययन करते हैं तो सभी पाते हैं गया जी ही वह स्थान है, जहां पितरों की आत्मा को मुक्ति और शांति मिलती है. रूसी महिलाओं को पिंडदान का पूरा कर्मकांड ब्रजेश पांडेय ने पूर्ण कराया. पिंडदान के बाद दोनों महिलाओं ने विष्णुपद मंदिर का भ्रमण किया. इस दौरान नगर निगम द्वारा लगाये गये फोटो बूथ में बैठ कर फोटो भी क्लिक कराया.

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