Darbhanga News: बेनीपुर. आजादी के 76 साल बीत जाने के बाद भी स्वतंत्रता संग्राम के गवाह रहे बहेड़ा के ऐतिहासिक डाक बंगला की कोई सुधि नहीं ले रहा है. डाकबंगला खंडहर में तब्दील हो गया है. उद्धारक की राह देख रहा है. विदित हो कि वर्ष 1887 में बहेड़ा कजियाना की पांच एकड़ जमीन पर इस डाकबंगला का निर्माण हुआ. यह कभी खाकी तो कभी खादी से गुलजार रहा करता था. ब्रिटिश काल में यह अंग्रेज सैनिकों का आशियाना था, वहीं स्वतंत्रता संग्राम के बाद यह बड़े राजनेता व स्वतंत्रता सेनानियों का आश्रय स्थल होता था. दशकों से विभागीय उदासीनता के कारण खंडहर में तब्दील हो चुके इस डाकबंगला के जीर्णोद्धार की दिशा में आजतक किसी ने संजीदगी दिखाना वाजिब नहीं समझा. वर्तमान में यहां नगर परिषद चुनाव से लेकर विधानसभा व लोकसभा चुनाव में तीन-तीन मतदान केंद्र होते हैं, बावजूद इसकी मरम्मति या रखरखाव की ओर स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर विभागीय अधिकारी तक कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. सिर्फ मतदान के समय वहां स्थानीय प्रशासन की चहलकदमी जरूर बढ़ जाती है. जैसे-तैसे टूटी खिड़की-कीवार के बीच ही मतदान करा स्थानीय प्रशासन भी अपनी कर्तव्य पर पूर्ण विराम लगा देते हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में भी यहां तीन मतदान केंद्र बनाये गये हैं, लेकिन इसकी मरम्मति नहीं की जा रही है. इसकी दुर्दशा का आलम यह है कि कुछ स्थानीय लोग इसे अपनी जागीर समझ कब्जा जमा हुए हैं. जानकारों बताते हैं, आजादी के बाद इस डाकबंगला पर महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, विनोवा भावे आकर देश की दशा-दिशा तय करते थे. आश्चर्य कि बात तो यह है कि बेनीपुर नगर परिषद गठन हुए करीब एक दशक से अधिक बीत गये, बावजूद यह डाकबंगला जिला परिषद दरभंगा के ही अधीन है. इस संबंध में नगर परिषद के मुख्य पार्षद मो. अकबाल ने कहा कि जिला परिषद से इसे नगर परिषद को हस्तगत करने के संबंध में कई बार पत्र लिखा गया, लेकिन अभी तक हस्तगत नहीं कराये जाने के कारण डाक बंगला का जीर्णोद्धार नहीं हो रहा है. वहीं एसडीओ मनीष कुमार झा ने कहा कि जर्जर भवन में तीन-तीन मतदान केन्द्र हैं. उसे दूसरे जगह स्थानांतरित करने की व्यवस्था की जा रही है.
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