Darbhanga News: कुशेश्वरस्थान पूर्वी. शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि पर विभिन्न देवी मंदिर व पूजा पंडालों में रविवार को माता के छठे स्वरूप कात्यायिनी देवी की पूजा-अर्चना श्रद्धापूर्वक की गयी. वहीं दोपहर बाद बेलन्योति का अनुष्ठान पूरा किया गया. पूजा स्थलों से गाजे-बाजे के साथ आचार्य, यजमान समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु जूलूस की शक्ल में बेल वृक्ष के नीचे पहुंचे. पूजा-अर्चना के बाद जोड़ा बेल को निमंत्रित किया गया. इस दौरान जयघोष व घड़ीघंट के मधुर आवाज से वातावरण गुंजायमान होता रहा. आचार्य विजय ठाकुर व पंडित राज नारायण झा ने बताया कि सोमवार को बेलतोड़ी के साथ पत्रिका प्रवेश के बाद मैया का पट खुल जायेगा. इसी दिन रात में निशा पूजा होगी. 30 सितंबर को महाअष्टमी व्रत, एक अक्तूबर को महानवमी व्रत, त्रिशूलनी पूजा, कुंवारी भोजन, हवन कार्य तथा दो अक्तूबर को गुरुवार को अपराजित पूजा, नीलकंठ दर्शन व देवी विसर्जन होगा.
इधर शाम ढलते ही मंदिर व पूजा पंडालों में संध्या दीप प्रज्ज्वलित करने महिला व कन्याओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. प्रखंड के बाजार स्थित पुरानी दुर्गा मंदिर, वैष्णवी दुर्गा पूजा, सम्राट चौक, भिण्डुआ, छोटकी कोनिया में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जा रही है. पूजा स्थलों पर पंडाल के साथ प्रतिमा निर्माण का काम पूरा कर लिया गया है. रंग-बिरंगी बिजली के झालरों, बल्बों तथा मरकरी से शाम होते ही सतरंगी रोशनी से जगमगा उठता है. इधर पुलिस प्रशासन ने गश्त तेज कर दिया है.विधानपूर्वक की पूरी की गयी बेल न्योति की रस्म
सिंहवाड़ा. शारदीय नवरात्र पर प्रखंड क्षेत्र के सभी पूजा पंडाल सज-धजकर तैयार हो गये हैं. रविवार को बेलन्योति की रस्म विधि-विधानपूर्वक पूरी की गयी. वहीं मिश्रौली स्थित महादेव मंदिर प्रांगण में पं. अमन झा, आचार्य अनिल मिश्र, व्यास अंनत मिश्र के साथ ग्रामीण गोविंद मिश्र, प्रणव मिश्र, मुकुल मिश्र, रजनीश झा, विष्णु मिश्र, गौरव मिश्र, अमरनाथ मिश्र व श्रवण मिश्र कलश स्थापना के दिन से ही अनवरत रामायण पाठ कर रहे हैं. इससे इलाके का माहौल भक्तिमय बना हुआ है. यहां संध्या आरती के दौरान काफी संख्या में महिला-पुरुष व बच्चे सभी शामिल होते हैं. ग्रामीण व आयोजक चंदन झा, प्रशांत मिश्र, अजित मिश्र, प्रियरंजन मिश्र, कैलाश मिश्र, उमाशंकर मिश्र, केशव कुमार, सुमित मिश्र, रोहित झा ने बताया कि यहां करीब 45 वर्ष से लगातार रामायण पाठ नवरात्र पर किया जाता है. पूर्वजों के अनुसार ऐसा करने से गांव व परिवार में सुख, शांति के साथ समृद्धि की प्राप्ति होती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

