Darbhanga News: कुशेश्वरस्थान पूर्वी. दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से पांच दिवसीय श्रीरामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन आशुतोष महाराज के शिष्य स्वामी सुकर्मानन्द ने सत्संग एवं संस्कार का महत्व विषय पर विचार रखा. कोला गांव में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि मनुष्य के जीवन को उज्ज्वल, संस्कारित और आध्यात्मिक दिशा देने का सशक्त माध्यम सत्संग है. कहा कि भौतिक युग में मनुष्य के संस्कार दिन-प्रतिदिन क्षीण होते जा रहे हैं. सत्संग ही वह पावन मंच है, जो मानव को आत्मबोध (ईश्वर का प्रत्यक्ष दर्शन) कराता है और उसे ईश्वर की ओर अग्रसर करता है. कहा कि सत्संग केवल कथा या प्रवचन नहीं, बल्कि आत्मा की जागृति का माध्यम है. जब मनुष्य ब्रह्मज्ञानी गुरु के सान्निध्य में जाता है, तब उसके भीतर सुप्त पड़ी दिव्यता जाग्रत हो उठती है.
संस्कारहीन समाज कभी स्थायी नहीं रह सकता
उन्होंने संस्कार को जीवन का आधार बताते हुए कहा कि संस्कारहीन समाज कभी स्थायी नहीं रह सकता. जैसे जड़ के बिना वृक्ष टिक नहीं सकता, वैसे ही संस्कार के बिना मानवता टिक नहीं सकती. सत्संग ही वह स्थान है, जहां से श्रेष्ठ संस्कारों का संचार होता है. बिना भगवान की कृपा के सत्संग नहीं मिलता और बिना सत्संग के जीवन में सच्चा सुख नहीं मिलता.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

