Darbhanga News: दरभंगा. दरभंगा अब्स्टेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी के 25 वर्ष पूरे होने पर दो दिवसीय सिल्वर जुबली कॉन्फ्रेंस का आयोजन डीएमसी ऑडिटोरियम में शनिवार से प्रारंभ हुआ. कार्यक्रम में देश- विदेश के दर्जनों डेलिगेट ने भाग लिया. पहले दिन लाइव टेलीकास्ट के माध्यम से चिकित्सकों को जरूरी सर्जरी के बारे में विस्तार से बताया गया. डॉ पूनम दीक्षित ने डीएमसीएच के गायनी ओटी में बड़े साइज की बच्चेदानी को निकाली. इसका लाइव टेलीकास्ट डीएमसी ऑडिटोरियम में किया गया. डॉ दीक्षित ने कहा कि पेट खोलकर बच्चेदानी को जनरल सर्जन भी निकाल देते हैं, परंतु स्त्री रोग विशेषज्ञों द्वारा बिना किसी चीर फार के बड़े साइज की बच्चेदानी को योनि मार्ग से निकालने पर उनकी अलग पहचान बनती है.
अधिक रक्तस्राव से मरीजों की हो जाती मौत
वैज्ञानिक सत्र की शुरुआत तिरुचिरापल्ली से आई डॉ चर्मिला अयावु ने प्रसव के दौरान खून नहीं जमने के कारण अत्यधिक रक्तस्राव से प्रसूता की मृत्यु हो जाने के बारे में बतायी. कहा कि जान बचाने के लिए बड़ी मात्रा में रक्त चढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मैसिव ब्लड ट्रांसफ्यूजन प्रोटोकॉल से स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों को अवगत करायी. इस सत्र की अध्यक्षता डॉ कुमुदिनी झा, डॉ नूतन राय, डॉ नूतन बाला सिंह एवं डॉ पुष्पा झा ने की.बच्चेदानी की रसौली का उपचार लेप्रोस्कोपी व रोबोटिक सर्जरी से
डॉ सुनीता तेंदुलवाकर ने बच्चेदानी की रसौली के उपचार के लिए लेप्रोस्कोपी व रोबोटिक सर्जरी का प्रदर्शन की. यूके से पहुंची डॉ अनुमेहा ने प्रसव के दौरान गर्भस्थ शिशु की जिंदगी पर आने वाले खतरे से बचाव के लिये सिटीजी की मशीन के बारे में बतायी. सही से प्रसव कर मां और बच्चा दोनों की जान बचाने के गुर सिखाए. डॉ अनीता सिंह ने गर्भ में क्रोमोजोम गड़बड़ी के कारण विकृत गर्भ के बारे में चर्चा की. इसके खतरों से सबको आगाह करायी. हरियाणा से आई डॉ मित्र सक्सेना ने गंभीर रक्तस्राव के दौरान प्रसूता की जान बचाने में इस्तेमाल की जाने वाली रक्त वाहिनियों को बांधने की विभिन्न पद्धतियों के बारे में जानकारी दी. इस सत्र की अध्यक्षता डॉ अंजू तुरियार, डॉ माया शंकर ठाकुर एवं डॉ अलका मिश्रा ने की. मौके पर डॉ राज अरोड़ा को सम्मानित किया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

