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Darbhanga News: मातृभाषा में शिक्षण कार्य के निष्पादन की बहुत सी चुनौतियां

Darbhanga News:भारत बहुभाषिक, बहुधार्मिक एवं बहुसांस्कृतिक देश है और यही इसकी आत्मा है.

Darbhanga News: दरभंगा. भारत बहुभाषिक, बहुधार्मिक एवं बहुसांस्कृतिक देश है और यही इसकी आत्मा है. राष्ट्रीय एकता और अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए मातृभाषा की उपादेयता निर्विवाद है. अंतर राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर लनामिवि के जुबली हॉल में आयोजित समारोह में मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. मंजू राय ने यह बात कही. प्रो. राय ने कहा कि अंग्रेजी रोजगार की भाषा बन सकती है, लेकिन आत्मीय और मानवीय संवेदनाओं के स्पर्श का संतोष अपनी मातृभाषा में ही संभव है. मुख्य वक्ता सह पूर्व मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि मातृभाषा में शिक्षण कार्य के निष्पादन की बहुत सी चुनौतियां हैं. पारिभाषिक शब्दावली, पाठ्य सामग्री निर्माण बुद्धिजीवियों के लिए दुरूह कार्य है. भारत में समेकित साहित्य का विकास व सृजन आवश्यक है, क्योंकि हमारी संस्कृति में भाषा और संस्कार इतने गहरे मिले हुए हैं, कि उनको अलग कर मुकम्मल साहित्य की रचना कर पाना असंभव है. भाषाओं के संरक्षण और उनके अनुप्रयोग को प्रोत्साहित करने की दिशा में सरकार की बड़ी भूमिका होनी चाहिए.

द्रविड़ और आर्य भारतीय भाषा परिवार की भाषाओं का समुचित विकास जरूरी

द्रविड़ और आर्य भारतीय भाषा परिवार की भाषाओं यथा तमिल, तेलुगु, मराठी, पंजाबी, ओड़िया, मैथिली सरीखे भाषाओं और उनकी बोलियों व उप बोलियों के विकास से ही भारतीय अस्मिता व भाषायी पहचान संभव है. नई शिक्षा नीति- 2020 के अनुसार बच्चों की स्कूली शिक्षा (प्राथमिक) उनकी मातृभाषा में होना अनिवार्य किया गया है. अभियांत्रिकी और तकनीकी एवं आयुर्विज्ञान के क्षेत्रों में मातृभाषा में पाठ्य सामग्री का निर्माण अत्यावश्यक है. विश्व पटल पर दृष्टि डालें तो, मातृभाषा को अपनाने वाले देश जापान, जर्मनी, चीन, रूस, फ्रांस, इटली आदि विकास की दौड़ में बहुत आगे हैं. संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ घनश्याम महतो और हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. उमेश कुमार, उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ गुलाम सरवर ने मातृभाषा के महत्व को रेखांकित किया.

पुरस्कृत किये गये काव्य पाठ प्रतियोगिता में अव्वल आये विद्यार्थी

कार्यक्रम का आयोजन हिन्दी, मैथिली, संस्कृत तथा उर्दू विभाग की ओर से आयोजित किया गया था. इन विभागों की ओर से पूर्व में आयोजित ””””बसंत ऋतु”””” पर आधारित काव्य-पाठ प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को प्रमाण -पत्र तथा मोमेंटो देकर प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह और प्रो. मंजु राय ने सम्मानित किया. अन्य प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र दिया गया. संचालन प्रो. अशोक कुमार मेहता ने किया. उन्होंने मैथिली में वसंत ऋतु पर काव्य पाठ से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया. स्वागत प्रो. दमन कुमार झा व धन्यवाद ज्ञापन डॉ रवींद्र नाथ चौरसिया ने किया.

पीजी मैथिली विभाग में नेहा एवं उर्दू में सिद्रा आयी अव्वल

लनामिवि में बसंत ऋतु पर केंद्रित कविता प्रतियोगिता में पीजी मैथिली विभाग की शोधार्थी नेहा कुमारी को प्रथम, प्रवीण कुमार को द्वितीय एवं अम्बालिका कुमारी और शिवम कुमार को तृतीय स्थान के लिये सम्मानित किया गया. विभागाध्यक्ष प्रो दमन कुमार झा ने सभी विजेता को बधाई दी.

पीजी उर्दू विभाग में हुई प्रतिभागियों में सिद्रा जबीं ने प्रथम, मो. शफातुल्लाह अंसारी ने द्वितीय तथा उज्मा परवीन ने तृतीय प्राप्त की. समारोह में सभी प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया. विभागाध्यक्ष डॉ गुलाम सरवर, प्रो. आफताब अशरफ, डॉ मोतिउर रहमान, डॉ नसरीन सुरैया एवं डॉ हस्सान जाजिब ने विजेता प्रतिभागियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की.

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