Darbhanga News: जाले. कृषि विज्ञान केंद्र में मंगलवार को अनुसूचित जाति किसानों के बीच मसूर बीज का वितरण किया गया. केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने बताया कि केंद्र सरकार की अनुसूचित जाति परियोजना महत्वकांझी है. इसके तहत प्रशिक्षण, उपादान वितरण, अंतिम पंक्ति प्रत्यक्षण, जागरुकता कार्यक्रम आदि द्वारा अनुसूचित जाति के किसानों के जीवन स्तर में सुधार लाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं परियोजना संचालिका पूजा कुमारी ने बताया कि रबी के तहत मसूर एक मुख्य फसल है. मसूर की बोआई का उचित समय उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में अक्तूबर के अंत तथा उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्रों व मध्य क्षेत्रों के लिए नवंबर का दूसरा पखवाड़ा उपयुक्त है. उन्होंने बताया कि किसानों को मसूर की फसल को कीट-रोगों से बचाने के लिए बीजोपचार के बाद ही बोआई करना चाहिए. इस योजना के तहत आज जिले के चार गांव ततैला, बेलवारा, राढ़ी तथा नगरडीह के 75 अनुसूचित जाति किसानों के बीच मसूर की बीज का वितरण किया गया है. प्रक्षेत्र प्रबंधक डॉ चंदन कुमार ने बताया कि इस योजना के तहत मसूर के प्रभेद एल 4727 बीज का वितरण किया गया. इस किस्म से औसत उपज 11.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तो अधिकतम 23.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है. मसूर की इस प्रभेद में प्रोटीन की मात्रा 26.5 प्रतिशत तक होती है. मसूर की यह किस्म 103 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस प्रभेद में उकठा रोग के लिये मध्यम प्रतिरोधी है. कार्यक्रम के दौरान केंद्र के अन्य वैज्ञानिकों में डॉ प्रदीप कुमार विश्वकर्मा, डॉ निधि कुमारी उपस्थित थे.
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