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Darbhanga News: मिथिला विश्वविद्यालय के अतिथि प्राध्यापकों को आठ माह से नहीं मिल रहा मानदेय

Darbhanga News:अतिथि सहायक प्राध्यापकों को दुर्गा पूजा के मौके पर भी मानदेय का भुगतान नहीं हो सका. न ही विश्वविद्यालय ने इसकी कोई वैकल्पिक व्यवस्था की.

Darbhanga News: दरभंगा. लनामिवि में कार्यरत अतिथि सहायक प्राध्यापकों को दुर्गा पूजा के मौके पर भी मानदेय का भुगतान नहीं हो सका. न ही विश्वविद्यालय ने इसकी कोई वैकल्पिक व्यवस्था की. इसको लेकर अतिथि सहायक प्राध्यापकों में काफी आक्रोश है. जदयू के जिला प्रवक्ता सह अतिथि सहायक प्राध्यापक डॉ शैलेंद्र कुमार ठाकुर ने मानदेय का भुगतान कराने की मांग उच्च शिक्षा निदेशक से की है. उन्होंने मांग की प्रति मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, कुलपति एवं कुलसचिव को भी भेजा है.

नियमित शिक्षकों और कर्मचारियों काे मिला वेतन, अतिथि प्राध्यापकों को नहीं

मांग पत्र में निदेशक से कहा गया है कि विभागीय लापरवाही के कारण पिछले आठ माह से लनामिवि के अतिथि शिक्षकों का मानदेय लंबित है. जबकि अतिथि शिक्षकों के मानदेय मद में शिक्षा विभाग ने 19 जुलाई को ही 37.78 करोड़ रुपये भेज दिया था. इसी विमुक्ति पत्र द्वारा नियमित शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का भी वेतन भेजा गया था. नियमित शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का वेतन भुगतान हो गया, किंतु अतिथि शिक्षकों के मानदेय का भुगतान विभागीय लालफीताशाही की भेंट चढ़ गया. अतिथि सहायक प्राध्यापकों का कहना है कि एक नियमित लिपिक से भी वे कम वेतन पाते हैं. सबेरे सात बजे से शाम पांच बजे तक ड्यूटी करते हैं. बावजूद फरवरी माह के बाद से आज तक वेतन नहीं मिला. ऐसे में उनकी दुर्दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है.

भुगतान को लेकर विश्वविद्यालय का लगाते चक्कर

अतिथि शिक्षकों का कहना है कि वे लोग पिछले डेढ़ माह से मानदेय भुगतान को लेकर विश्वविद्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. हर बार दो-तीन दिन का समय दिया जाता है. कई बार रजिस्ट्रार और कुलपति से भी इन लोगों ने बात की. बताया जाता रहा कि दो-तीन दिन में भुगतान हो जाएगा, पर कुछ नहीं हुआ.

गलत खाता में राशि चले जाने से फंसा है मामला

चर्चा है कि गलत खाता में राशि स्थानांतरित हो जाने के कारण अतिथि सहायक प्राध्यापकों काे मानदेय का भुगतान नहीं हो पा रहा है. अतिथि प्राध्यापकों ने कहा है कि यह अत्यंत अमानवीय और दुखद है. सरकार से मानदेय की राशि मिल जाने के बावजूद विश्वविद्यालय स्तर से भुगतान नहीं किया जा रहा है. कहा कि चाहे गलती जिस स्तर की हो, इसमें वे लोग कहां से दोषी हैं. विश्वविद्यालय में कार्यरत 550 अतिथि शिक्षक, उनके परिवार, सगे- संबंधी आदि इससे प्रभावित हैं.

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