Darbhanga News: दरभंगा. महारानी अधिरानी रमेश्वरलता संस्कृत महाविद्यालय, दरभंगा में पोथीघर फाउंडेशन के संयुक्त तत्त्वावधान में ””””आद्य मैथिली साहित्य : चर्यापद ”””” विषय पर इतिहासकार डॉ अवनींद्र कुमार झा ने व्याख्यान दिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ दिनेश झा ने की. मुख्य अतिथि सह कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पाण्डेय ने भाषा की महत्ता बतायी. कहा कि सभी भाषाओं का मूल ””””संस्कृत”””” होने के कारण क्षेत्रिय भाषाएं समझने में आसानी होती है.
चर्यापद में तंत्रविद्या का क्रमिक विकास- डॉ अवनींद्र
मुख्य वक्ता डॉ अवनींद्र कुमार झा ने कहा कि इतिहास के अध्येताओं को साहित्य में और साहित्यिकों को इतिहास में रुचि रखने पर साहित्येतिहास सही मायने में समझ में आएगा. भाषा और साहित्य में परस्पर संबंध ही भाषा का आधार है. 8वीं शती से लेकर 11वीं शती तक चर्यापद की रचना होती रही. ””””चर्यापद”””” सिद्ध साहित्य के अन्तर्गत है. 84 सिद्धों में से अधिकांश की जन्मभूमि अथवा कर्मभूमि मिथिला और उसका सीमांत प्रदेश रहा है. चर्यापद में तंत्रविद्या का क्रमिक विकास देखने को मिलता है. मिथिला के शोधार्थियों को चर्यापद पर शोध करना चाहिए.
नयी शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषा को बढ़ावा- डॉ दिनेश झा
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ दिनेश झा ने कहा कि नयी शिक्षा नीति-2020 में क्षेत्रीय भाषा के बढ़ावा पर बल दिया गया है. क्षेत्रीय भाषा के शोध को शोधार्थियों को प्राथमिकता देनी होगी. इससे पूर्व पोथीघर फाउंडेशन के सचिव आनंद मोहन झा ने कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय, पांडुलिपि विशेषज्ञ डॉ मित्रनाथ झा ने डॉ दिनेश झा और वित्त पदाधिकारी डॉ पवन कुमार झा ने डॉ अवनींद्र कुमार झा को पाग, दोपटा और पोथी देकर सम्मानित किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ रामसेवक झा कर रहे थे. मौके पर सुशांत कुमार, मुकेश निराला, गुंजन कुमारी, प्रमोद मिश्र, डॉ ममता पाण्डेय आदि मौजूद थे.
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