Darbhanga News: दरभंगा. वित्त अनुदानित तथा वित्तरहित शिक्षण संस्थाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा समिति बनाए जाने का स्थानीय स्तर पर संबंधित शिक्षाकर्मियों ने विरोध किया है. कहा है कि सरकार ने उनके साथ नाइंसाफी की है. कहा कि सरकार से उम्मीद थी कि उनके लिये कम से कम उचित मासिक मानदेय की घोषणा की जाती. जबकि सरकार ने समिति का गठन कर मामले को फिर से लंबित कर दी है. उधर, वित्तरहित शिक्षक-शिक्षकेत्तर कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष मण्डल की मामले को लेकर आपात बैठक हुई. इसमें सरकार द्वारा वित्तरहित शिक्षक- कर्मचारियों को वेतन एवं पेंशन देने की घोषणा के बजाय मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समीक्षा के लिये समिति का गठन किया गया है. वे इसका विरोध करते हैं. मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि इस समिति की अधिसूचना वापस लेकर वित्तरहित शिक्षक-कर्मचारियों को वेतन एवं पेंशन देने के सम्बंध में निर्णय लिया जाय. संगठन ने सरकार के निर्णय के खिलाफ आंदोलन की घोषणा की है. प्रथम चरण में सरकार द्वारा गठित समिति के बाबत अधिसूचना की प्रति तीन अक्तूबर को सभी वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में जलाने की घोषणा की गई है. बैठक में आरोप लगाया गया कि इस अधिसूचना के माध्यम से वित्तरहित शिक्षाकर्मियों को ठगने की कोशिश की गई है. यह निर्णय आग में घी डालने का काम किया है. बैठक में मोर्चा के राम विनेश्वर सिंह, जयनारायण सिंह मधु, शम्भु कुमार सिंह, रामनरेश पाण्डेय, विजय कुमार सिंह, अजय कुमार सिंह, हैदर अली शामिल थे. आगे की रणनीति के लिए तीन अक्तूबर को मोर्चा के की पुनः बैठक होगी. इधर, स्थानीय स्तर पर अनुदान नहीं वेतनमान फोरम के शिक्षक नेता अखिल रंजन झा ने कहा है कि उन लोगों को सरकार द्वारा गठित समिति पर फिलहाल भरोसा है. कारण यह है कि जारी पत्र के कालम तीन में वेतन/मानदेय के निर्धारण का भी निर्देश दिया गया है. समिति अगर यह तय कर देती है और सरकार उसे स्वीकार कर भुगतान का निर्णय लेती है, तो यह निर्णय विहित प्रक्रिया के तहत ली गयी साबित होगी. इस समिति में वेतन तय करने वाले सरकार के सभी विभाग के उच्च पदस्थ पदाधिकारी शामिल हैं.
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