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ग्रह नक्षत्रों के कुप्रभावों से रक्षा करेंगे पेड़-पौधे
दरभंगा : कोई माने या न माने प्राच्य विद्या में ऐसे कई प्रमाण है जो ग्रह, राशि व नक्षत्र जनित कुप्रभावों को शमन करने में पेड़-पौधा कामयाब है. इसी अवधारणा को लेकर कासिंद संस्कृत विवि परिसर में ग्रह, राशि व नक्षत्र सहित 5 वाटिका का निर्माण होना तय है. इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया भी शुरू […]
दरभंगा : कोई माने या न माने प्राच्य विद्या में ऐसे कई प्रमाण है जो ग्रह, राशि व नक्षत्र जनित कुप्रभावों को शमन करने में पेड़-पौधा कामयाब है. इसी अवधारणा को लेकर कासिंद संस्कृत विवि परिसर में ग्रह, राशि व नक्षत्र सहित 5 वाटिका का निर्माण होना तय है. इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया भी शुरू कर दिया गया है.
वैज्ञानिकों के नये-नये शोध ने रोग की दवा विकसित की है. निश्चित तौर पर ज्योतिषशास्त्र में पेड़-पौधा के समीचीन उपयोग से इसके दमन की व्यवस्था बहुत पहले कर दी है.
पांच वाटिकाओं का प्रस्ताव
कासिंदसं विवि परिसर में पांच विभिन्न नामों का वाटिका बनेगा. जो अपनी-अपनी विशेष पहचान व उपयोगिता का होगा. पहला ‘नवग्रह’ वाटिका के नाम से होगा. वहीं दूसरा नक्षत्र वाटिका, राशि वाटिका, औषधि एवं एनएसएस वाटिका से नामित किया जायेगा.
कैसी होगी ग्रह वाटिका
ग्रह वाटिका में अलग-अलग नौ ग्रहों के अनुसार अलग-अलग पेड़-पौधे लगाये जायेंगे, जिसका ज्योतिषीय प्रभाव अलग-अलग होगा. वहीं संबंधित ग्रह के शमन के लिए लोग उससे संबंधित पेड़-पौधों का उपयोग व आनंद प्राप्त कर सकेंगे. इसमें रवि के लिए अकोन का पौधा लगाया जायेगा.
वहीं सोम के लिए पलास, मंगल के लिए खैर,बुद्ध के लिए चिरचिरी, वृहस्पति के लिए पीपल, शुक्र के लिए गुलड़, शनि के लिए शमी, राहु के लिए दुर्वा व केतु के लिए कुश लगाया जायेगा.
राशि वाटिका में होंगे कौन से पेड़-पौधे
इस वाटिका में मेष राशि वालों के लिए आंवला पेड़ होगा. वहीं वृष राशि के लिए जामुन, मिथुन के लिए शीशम, कर्क के लिए नागकेश्वर, सिंह के लिए पलास, कन्या के लिए रिट्ठा, तुला के लिए अजरुन, वृश्चिक के लिए भालसरी, धनु के लिए जलवेतस, मकर के लिए अकोन, कुंभ के लिए कदम्ब व मीन के लिए नीम के पेड़ लगाये जायेंगे. बताया जाता है कि राज्य का ऐसा पहला वाटिका विवि परिसर में होगा जो आकर्षण का केंद्र बनेगा.
पूर्व कुलपति एवं ज्योतिषवेत्ता डॉ रामचंद्र झा ने बताया कि उक्त वाटिका से जहां वातावरण शुद्ध होगा. वहीं ग्रह, राशि, नक्षत्र के प्रतिकुल स्थिति में इसके दोष का शमन किया जा सकेगा. इन सभी वृक्षादि का विविध यज्ञादि में उपयोग भी संभव हो सकेगा.
वाटिकास्थल का चयन पूरा
प्रस्तावित उक्त वाटिका के लिए परिसर स्थल का अलग-अलग चयन कर लिया गया है. नवग्रह वाटिका के लिए विवि स्नातकोत्तर प्रथम परिसर में अवस्थित गोलम्बर की तरफ निर्धारित किया गया है.
वहीं राशि वाटिका पुस्तकालय के सामने वाले रिक्त जगह पर बनेगा. जबकि नक्षत्र वाटिका कामेश्वर सदनम के सामने सड़क के पूरब वाले भूखंड पर निर्धारित है. औषधि वाटिका के लिए विवि मुख्यालय के सामने स्थित फब्बारा के उत्तर भूखंड पर लगाने का निर्णय है.
नक्षत्र वाटिका का कैसा होगा स्वरूप
नक्षत्र वाटिका में कुल 27 नक्षत्रों के लिए ज्योतिषीयशास्त्र के अनुसार अलग-अलग गुणवाले पेड़-पौधे लगाये जायेंगे.इसमें अश्विनी के लिए कोचिला, भरनी के लिए आंवला, कृतका के लिए गुल्लड़, रोहिणी के लिए जामुन, मृगशिरा के लिए खैर, आद्रा के लिए शीशम, पुनर्वसु के लिए बांस, पुष्य के लिए पीपल, अष के लिए नागकेसर, मघा के लिए बट, पूर्वा के लिए पलास, उत्तरा के लिए पाकड़, हस्त के लिए रीठा, चित्र के लिए बेल, स्वाती के लिए अजरुन, विशाषा के लिए कटैया पौधे लगाये जायेंगे.
जबकि अनुराधा के लिए भालसरी, ज्योष्ठा के लिए चीर, मूला के लिए शाल, पूर्वाषाढ़ के लिए अशोक, उत्तराषाढ़ के लिए कटहल, श्रवण के लिए अकौन, धनिष्ठा के लिए शमी, शतभिषा के लिए कदम्ब, पूर्व भाद्र के लिए आम, उत्तरभाद्र के लिए नीम व रेवती नक्षत्र के लिए उपयुक्त फल देनेवाला महुआ पेड़ लगाया जायेगा. वहीं औषधि वाटिका में विभिन्न आयुर्वेदित जड़ी-बूटियों वाला पेड़-पौधों का संग्रह होगा. जबकि एनएसएस वाटिका सामाजिक सरोकारों का प्रदर्शन करनेवाले आयामों से भरे जायेंगे.
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