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शहर के ख्यातिप्राप्त चिकित्सक डॉ राजशेखर नहीं रहे

/रफोटो संख्या- 20परिचय- डॉ राजशेखर श्रीवास्तव की फाइल फोटो दरभंगा. शहर के ख्याति प्राप्त नेत्र चिकित्सक तथा शेखर नेत्रालय के संस्थापक डॉ राजशेखर श्रीवास्तव का आकस्मिक निधन हृदय गति रूक जाने से शुक्रवार को हो गया. उनके निधन से चिकित्सकों के साथ -साथ आम जनमानस काफी मर्माहत हैं. उनका निधन नेपाल में उस समय हो […]

/रफोटो संख्या- 20परिचय- डॉ राजशेखर श्रीवास्तव की फाइल फोटो दरभंगा. शहर के ख्याति प्राप्त नेत्र चिकित्सक तथा शेखर नेत्रालय के संस्थापक डॉ राजशेखर श्रीवास्तव का आकस्मिक निधन हृदय गति रूक जाने से शुक्रवार को हो गया. उनके निधन से चिकित्सकों के साथ -साथ आम जनमानस काफी मर्माहत हैं. उनका निधन नेपाल में उस समय हो गया जब वे पशुपतिनाथ का दर्शन कर लौट रहे थे. देर रात तक उनका शव दरभंगा पहुंचेंगा. उनके निधन का समाचार सुनकर नाका नंबर 5 स्थित उनके आवास पर शुभचिंतको का तांता लग गया. दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय के पूर्व नेत्र विभागाध्यक्ष डॉ राजशेखर श्रीवास्तव ने कई राष्ट्रीय ख्याति अर्जित की. नवीनतम खोज और तकनीकों का व्यवहार करनेवाले एक जागरूक और प्रेरक चिकित्सक थे. वर्ष 1975 में ही उन्होंने बहुत सारे जटिल प्रक्रियाओं से गुजरते हुए जर्मनी से पहली बार स्टीक रेसनियो स्कोप मंगाया जिससे दरभंगा जैसे शहर में भी मरीजों की आंखों की जांच एक ही सिटिंग में होने लगी. पहले मोतियाबिंद के ऑपरेशन में टांका और महिलेंस लगाया जाता था, जिसके बावजूद 60 प्रतिशत तक आंख खराब होने की संभावना बनी रहती थी. डॉ श्रीवास्तव ने मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद टांके लगाने शुरू किये. 1989 में आइओएल लेंस लगाना भी आरंभ किया. ऐसा करनेवाले वे बिहार के चुनिंद चिकित्सकों में से एक थे.

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